Friday, 26 January 2018

एकमुखी रुद्राक्ष -- डाॅ कृष्ण पाल त्रिपाठी

        आशुतोष भगवान शिव जी की प्रियतम वस्तुओं मे रुद्राक्ष का स्थान सर्वोपरि है ।इन रुद्राक्षों मे भी एकमुखी रुद्राक्ष का स्थान शीर्षस्थ है ।यह अत्यन्त दुर्लभ माना जाता है ।यह केवल भाग्यवान सन्त-महात्माओं एवं धर्मात्मा महापुरुषों को ही सुलभ हो पाता है।आजकल एकमुखी रुद्राक्ष दो प्रकार के मिलते हैं।इनमे से एक तो गोलाकार और दूसरा काजू के आकार का होता है। ये दोनो बहुत महत्वपूर्ण होते हैं परन्तु गोलाकार एकमुखी रुद्राक्ष को अधिक महत्त्व दिया जाता है।
      सनातन परम्परा मे एकमुखी रुद्राक्ष को बहुत पवित्र और परम कल्याणकारी माना गया है ।शिवपुराण मे इसकी महत्ता का प्रतिपादन करते हुए बताया गया है कि यह रुद्राक्ष साक्षात् शिव जी का स्वरूप है ।वह समस्त सांसारिक भोगों एवं मोक्षरूपी परम फल को प्रदान करने वाला है।उसके दर्शनमात्र से ही ब्रह्महत्या सदृश घोरातिघोर पाप समूल नष्ट हो जाते हैं।इतना ही नहीं बल्कि जहाँ पर वह रुद्राक्ष रहता है और जहाँ पर उसकी पूजा-अर्चना की जाती है  ; वहाँ से लक्ष्मी जी का पलायन कभी नहीं होता है।लक्ष्मी जी वहीं पर स्थायी रूप से निवास करने लगती हैं।उस स्थान के सभी उपद्रव नष्ट हो जाते हैं और वहाँ पर निवास करने वाले सभी लोगों की समस्त कामनायें पूर्ण हो जाती हैं ---

       एकवक्त्रः शिवः साक्षाद्भुक्तिमुक्तिफलप्रदः।
       तस्य  दर्शनमात्रेण  ब्रह्महत्यां  व्यपोहति ।।
       यत्र सम्पूजितस्तत्र लक्ष्मीर्दूरतरा  न  हि  ।
       नश्यन्त्युपद्रवाः सर्वे सर्वकामा भवन्ति हि।।
    
           इन्हीं अनुपम विशेषताओं को दृष्टिगत रखते हुए  ही एकमुखी रुद्राक्ष धारण करने का परामर्श दिया गया है।जो व्यक्ति इसे धारण करता है ; वह पूर्णतः निष्कलुष हो जाता है।उसका मन ; वाणी और कर्म पूर्णरूपेण पवित्र हो जाता है।उसे सम्पूर्ण सांसारिक सुखों की प्राप्ति हो जाती है।वह धन-धान्य से परिपूर्ण हो जाता है।उसके घर से दुःख-दारिद्र्य सदा के लिए समाप्त हो जाते हैं।उसे किसी भी प्रकार की दुर्घटना या अकालमृत्यु का भय नहीं रहता है।उसके सभी शत्रु पराजित हो जाते हैं।समाज मे उसे सम्मानजनक पद और प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है।
        एकमुखी रुद्राक्ष का माहात्म्य केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं ; बल्कि औषधीय दृष्टि से भी बहुत अधिक है।इसे धारण करने से मनुष्य सदैव स्वस्थ और निरोग रहता है।उसके शिरदर्द ; उदर विकार ; हृदयाघात सदृश सभी रोग अविलम्ब शान्त हो जाते हैं।
         इस प्रकार स्पष्ट है कि एकमुखी रुद्राक्ष जितना पवित्र ; पापनाशक और पुण्यदायक है ; उससे कहीं अधिक जीवनोपयोगी तथा कल्याणकारी भी है। अतः सभी लोगों को एकमुखी रुद्राक्ष धारण करने का प्रयास करना चाहिए ।

Monday, 1 January 2018

रुद्राक्ष माहात्म्य -- डाॅ कृष्ण पाल त्रिपाठी

         आशुतोष भगवान शिव जी की प्रियतम वस्तुओं मे रुद्राक्ष का स्थान सर्वोपरि है ।इसका प्रमुख कारण यह है कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति शिव जी के द्वारा ही हुई है।शिव पुराण के द्वारा ज्ञात होता है कि एक बार भगवान शिव जी ने लोकोपकार की भावना से ओत-प्रोत होकर दीर्घकालीन तपस्या आरम्भ की।वे अपने मन को पूर्ण संयमित रखते हुए सहस्रों दिव्य वर्षों तक तपस्या मे लगे रहे।एक दिन सहसा उनका मन क्षुब्ध हो उठा और उन्होंने लीलावश अपने नेत्र खोल दिया।नेत्र खुलते ही उनके नेत्रपुटों से कुछ अश्रुविन्दु टपक पड़े।उन्हीं अश्रुविन्दुओं से रुद्राक्ष-वृक्ष उत्पन्न हो गये।ये रुद्राक्ष सर्वप्रथम गौड़ देश मे उत्पन्न हुए।बाद मे ये अयोध्या ; मथुरा ; लंका ; मलयाचल ; सह्यगिरि ; काशी आदि स्थानो पर भी उग आये।
        ये रुद्राक्ष अत्यन्त पवित्र और पापनाशक होते हैं।इसलिए इन्हें सभी स्त्रियों और पुरुषों को अवश्य धारण करना चाहिए ।जो व्यक्ति रुद्राक्ष धारण करते हैं ; वे सभी पापों से मुक्त होकर पूर्ण निष्कलुष हो जाते हैं।इन्हें धारण करने वाले पापी गण भी पूर्णरूपेण शुद्ध होकर भगवान शिव जी के प्रिय बन जाते हैं।इतना ही नहीं ; बल्कि इनके दर्शन मात्र से ही मनुष्य के सभी पाप निर्मूल हो जाते हैं।जो लोग इन्हें धारण करते हैं ; वे समस्त सांसारिक सुखों का उपभोग कर अन्त मे मोक्ष को प्राप्त करते हैं।जो लोग रुद्राक्ष धारण करते हैं ; उन्हें यमलोक की यातनाओं का सामना नही करना पड़ता है ।इतना ही नहीं ; बल्कि रुद्राक्षधारी लोगों के पास यमदूत जाते ही नहीं हैं।इसलिए रुद्राक्ष धारण करने वालों को अपमृत्यु या अकालमृत्यु का कोई भय नही रहता है।
        रुद्राक्ष अनेक रंग रूप के होते हैं।ये सभी अत्यन्त पवित्र;  पापनाशक तथा पुण्यदायक होते हैं।इनकी माला से सभी मंत्रों का जप किया जा सकता है ।मणि आदि की माला की अपेक्षा रुद्राक्ष की माला से किया गया जप करोड़ो गुना अधिक फल प्रदान करता है।अतः समस्त कल्याणार्थी मनुष्यो को चाहिए कि वे रुद्राक्ष की माला अवश्य धारण करें।