Tuesday, 1 March 2016

चैत्र-पूर्णिमा

           चैत्रपूर्णिमा -व्रत चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की अन्तिम तिथि पूर्णिमा को किया जाता है।व्रत मे चन्द्रोदय-व्यापिनी पूर्णिमा ली जाती है।स्नान; दानादि के लिए सूर्योदय-व्यापिनी उत्तम मानी जाती है।पूर्णिमा पर्व तिथि है।इसलिए इस दिन स्नान ; दान ; व्रत ; पूजा ; पाठ ; कीर्तन ; भजन ; पुराण - श्रवण ; सत्यनारायण व्रत कथा श्रवण आदि का विधान है।इस दिन चित्रा नक्षत्र हो तो अधिक शुभ होता है।
विधि --
            व्रती को चाहिए कि वह व्रत वाली पूर्णिमा को प्रातः स्नानादि से निवृत्त होकर दिन भर उपवास करे।सूर्य ; चन्द्र एवं विष्णुस्वरूप सत्यनारायण का पूजन करे।चन्द्रोदय काल मे चन्द्रमा को अर्घ्य प्रदान करे।
माहात्म्य ----
           इस दिन स्नान ; दान ; व्रत आदि करने से अक्षय पुण्यफल की प्राप्ति होती है।
नोट ---पूर्णिमा सम्बन्धी अन्य बातों का विस्तृत विवेचन इसी ब्लाॅग मे देखें

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