सनातन परम्परा मे देवाधिदेव भगवान शिव जी का स्थान एवं महत्त्व सर्वोपरि है।यह सम्पूर्ण विश्व उन्हीं का स्वरूप है।वे अपने भक्तों का कल्याण करने के लिए सर्वत्र विद्यमान हैं।इस समय पृथ्वी पर असंख्य शिवलिंग प्रतिष्ठित हैं।उनमे से 108 दिव्य शिव-क्षेत्र के रूप मे प्रसिद्ध हैं।किन्तु बारह ऐसे स्थान हैं ; जो ज्योतिर्लिंग के रूप मे प्रसिद्ध हैं।इनका दर्शन बहुत पुण्यदायक है।परन्तु सामर्थ्य न होने पर केवल इनका नाम-स्मरण करने से ही मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।इन द्वादश ज्योतिर्लिंगों का परिचय इस प्रकार है ---
सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्।
उज्जयिन्यां महाकालमोंकारे परमेश्वरम्।।
केदारं हिमवत्पृष्ठे डाकिन्यां भीमशंकरम्।
वाराणस्यां च विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे।।
वैद्यनाथं चिताभूमौ नागेशं दारुकावने।
सेतुबन्धे च रामेशं घुश्मेशं च शिवालये।।
द्वादशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय यः पठेत्।
सर्वपापैर्विनिर्मुक्तः सर्वसिद्धिफलं लभेत्।।
----- अर्थात् सौराष्ट्र प्रदेश काठियावाड़ के विरावल नामक स्थान पर स्थित श्रीसोमनाथ जी ; दक्षिण भारत मे तमिलनाडु प्रान्त मे कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैल पर्वत पर स्थित श्री मल्लिकार्जुन जी ; उज्जैन मे शिप्रा नदी के तट पर स्थित श्री महाकालेश्वर जी ; मालवा मे नर्मदा नदी के तट पर स्थित मान्धाता पर्वत पर श्री ओंकारेश्वर जी ; हिमालय पर्वत की केदार चोटी पर प्रवाहित होने वाली मन्दाकिनी नदी के तट पर स्थित श्री केदारेश्वर जी ; महाराष्ट्र मे मुम्बई से पूर्व दिशा मे भीमा नदी के तट पर सह्याद्रि पर्वत पर विराजमान श्री भीमशंकर जो ; उत्तर प्रदेश के काशी मे श्री विश्वनाथ जी ; महाराष्ट्र प्रान्त के नासिक जिले मे गौतमी ( गोदावरी ) नदी के तट पर स्थित श्री त्र्यम्बकेश्वर जी ; झारखण्ड प्रान्त मे देवघर नामक स्थान पर विराजमान श्री वैद्यनाथ जी ; दारुकावन मे स्थित श्री नागेश्वर जी ; दक्षिण भारत मे समुद्र तट पर भगवान श्री राम द्वारा स्थापित सेतुबन्ध रामेश्वर जी ; दौलताबाद के समीप बेरुल ग्राम मे स्थित श्री घुश्मेश्वर जी द्वादश ज्योतिर्लिंग के रूप मे प्रतिष्ठित हैं।जो व्यक्ति प्रातःकाल उठकर इनका नाम स्मरण करता है ; वह समस्त पापों से मुक्त होकर सभी सिद्धियों को प्राप्त कर लेता है।
Thursday, 10 March 2016
द्वादश ज्योतिर्लिंग स्मरण
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment