Sunday, 2 October 2016

सर्वस्व-दायिनी दुर्गा जी -- डाॅ कृष्ण पाल त्रिपाठी

          संसार का प्रत्येक व्यक्ति सुख-सुविधा पूर्ण जीवन व्यतीत करके अन्त मे मोक्ष की प्राप्ति करना चाहता है।इसके लिए धर्मशास्त्रों मे असंख्य उपायों की विवेचना की गयी है।परन्तु वहाँ जो उपाय बताये गये हैं ; वे प्रायः श्रमसाध्य एवं व्ययसाध्य हैं।उन्हें जन-सामान्य पूर्ण नहीं कर पाता है।इसीलिए श्रीदुर्गा सप्तशती ; वैकृतिकं रहस्यं /37 मे एक सरल उपाय बताया गया है।उक्त ग्रन्थ के अनुसार जो मनुष्य प्रतिदिन भक्ति पूर्वक परमेश्वरी श्रीदुर्गा जी का पूजन करता है ; वह मनोवाँछित भोगों का भोगकर अन्त मे देवी-सायुज्य प्राप्त कर लेता है ----
   एवं यः पूजयेद्भक्त्या प्रत्यहं परमेश्वरीम्।
   भुक्त्वा भोगान् यथाकामं देवीसायुज्यमाप्नुयात्।।
           इसमे किसी विशिष्ट पद्धति अथवा विशिष्ट नियम से पूजन करने की बात नहीं कही गयी है।केवल आसानी से उपलब्ध होने वाले उपचारों द्वारा श्रद्धा और भक्ति से समन्वित होकर पूजन करना चाहिए।दुर्गा सप्तशती का पारायण करने के जो नियम बताये गये हैं।प्रायः उन्हीं नियमों का पालन करना चाहिए।विधिवत् पूजन करने पर सफलता सुनिश्चित मिलेगी।

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