Thursday, 6 February 2020

सात मुखी रुद्राक्ष -- डाॅ कृष्ण पाल त्रिपाठी

       सात मुखी रुद्राक्ष बहुत महत्वपूर्ण और उपयोगी होता है ।यह भी बहुत पवित्र और पाप नाशक होता है ।यह अनेक दिव्य गुणों से भरपूर होता है ।इसे भगवान शिव जी का स्वरूप माना जाता है ।कुछ विद्वानो ने इसे माता महालक्ष्मी का स्वरूप माना है।
       महा शिव पुराण के अनुसार सप्त मुखी रुद्राक्ष अनंग नाम से प्रसिद्ध है ।इसे धारण करने से दरिद्र भी ऐश्वर्यशाली बन जाता है  ---
      सप्तवक्त्रो महेशानि ह्यनङ्गो नाम नामतः।
      धारणात्तस्य देवेशि दरिद्रोऽपीश्वरो भवेत् ।।

धारण करने से लाभ  ---
1 -- सात मुखी रुद्राक्ष की सर्वाधिक उल्लेखनीय विशेषता यह है कि इसे धारण करने मात्र से ही मनुष्य को माता महालक्ष्मी की असीम अनुकम्पा प्राप्त हो जाती है।लक्ष्मी जी उसके घर मे स्थायी रूप से निवास करने लगती हैं।अतः स्वाभाविक है कि वह व्यक्ति अत्यन्त धनी और ऐश्वर्यशाली बन जायेगा।
2 -- इसे धारण करने पर व्यक्ति की हर प्रकार की आर्थिक समस्याओ का समाधान मिल जाता है।धनार्जन करने के नवीन मार्ग खुल जाते हैं।वाणिज्य व्यापार व्यवसाय का विकास और विस्तार होने लगता है।विभिन्न स्रोतों के द्वारा अथाह धन लाभ होने लगता है।उसका आर्थिक पक्ष अत्यन्त सबल बन जाता है।फलतः धन सम्बन्धी चिन्ता बिल्कुल समाप्त हो जाती है।उसका कोई भी कार्य धनाभाव के कारण नही रुकता है।अतः सब लोगों को चाहिए कि वे कम से कम एक सप्तमुखी रुद्राक्ष गले मे धारण कर लें और एक सप्तमुखी रुद्राक्ष अपने पूजा स्थल पर स्थापित करके नित्य पूजन करें।इससे पूरा परिवार आर्थिक संकट से उबर जायेगा।परिवार का खर्च कम हो जायेगा और आमदनी निरन्तर बढ़ती जायेगी।
3 -- नौकरी करने वाले व्यक्तियों के लिए भी यह रुद्राक्ष बहुत उपयोगी है।इसे धारण करने से नौकरी उन्नति और मान सम्मान की वृद्धि होती है।अतः नौकरी करने वाले सभी लोगों को सात मुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए;  जिससे उन्हें उनके सम्बन्धित क्षेत्र मे उत्तमोत्तम सफलता प्राप्त हो सके।
4 -- यह रुद्राक्ष अपनी ओर सुख समृद्धि सन्तोष खुशी आदि को आकर्षित करने वाला है।अतः इसे धारण करने वाले को ये सभी चीजें बहुत आसानी से प्राप्त हो जाती हैं।
5 -- यह रुद्राक्ष दुर्भाग्य को दूर करने तथा सौभाग्य की वृद्धि करने वाला है।अतः जो व्यक्ति इसे धारण करता है ; वह परम सौभाग्यशाली बन जाता है ।
6 -- यह रुद्राक्ष पारस्परिक सम्बन्धों मे मधुरता लाने वाला है।अतः इसे धारण करने पर मनुष्य के विवाद समाप्त हो जाते हैं।पारस्परिक सम्बन्ध अत्यन्त मधुर एवं प्रगाढ़ बन जाते हैं।
7 -- इसको धारण करने से मन मे सद्भावों का प्रादुर्भाव होने लगता है।उसके मन मस्तिष्क से दुर्भाव दूर हो जाते हैं।इससे मन मे शान्ति बनी रहती है।
8 -- इसे धारण करने से कोर्ट कचेहरी के मामलों मे मनचाही सफलता मिलती है।अतः जो लोग इस दृष्टि से परेशान हों उन्हें सप्तमुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए ।
9 -- यह रुद्राक्ष बहुत प्रभावशाली होता है।इसे धारण करने से मनुष्य को धन सम्पदा मान सम्मान यश कीर्ति ऐश्वर्य आदि सब कुछ आसानी से मिल जाता है।
10 -- इसे धारण करने पर व्यक्ति सर्प भय से मुक्त हो जाता है।
11 -- इस रुद्राक्ष मे सप्त मातृकाओं का निवास होता है।अतः इसे धारण करने से व्यक्ति को सर्वविध सांसारिक सुखों की प्राप्ति बहुत आसानी से हो जाती है।
12 -- यह रुद्राक्ष मनुष्य को दीर्घायु बनाने वाला तथा अकाल मृत्यु से रक्षा करने वाला है।अतः इसे धारण करने से मनुष्य हर प्रकार की दुर्घटनाओं से बचा रहता है।इसलिए जिन लोगों को अधिक यात्रा करनी हो अथवा जो लोग मशीनरी कार्यों से सम्बन्धित हों उन्हें सप्तमुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए ।
13 -- इसमे सप्तर्षियों का आशीर्वाद सन्निहित होता है।अतः इसे धारण करने से शरीर मे सप्तधातुओं की रक्षा होती है।
14 -- स्वास्थ्य की दृष्टि से भी इस रुद्राक्ष का बहुत अधिक महत्व है।इसे धारण करने से स्नायु तंत्र से सम्बन्धित सभी रोग ठीक हो जाते हैं।साथ ही मानसिक रोग ; गठिया वायु ; हड्डी एवं मांसपेशियों की पीड़ा  ; अस्थमा आदि अनेक रोगों से छुटकारा मिल जाता है ।अतः स्वास्थ्य संरक्षण एवं संवर्धन के लिए सभी लोगों को सप्तमुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए ।
15 -- सप्तमुखी रुद्राक्ष शनि ग्रह से सम्बन्धित होता है।अतः जो लोग शनि की साढ़ेसाती ढैया अथवा दशान्तर्दशा से पीड़ित हों उन्हें सप्तमुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए ।
16 -- जिन लोगों का जन्म मकर या कुम्भ लग्न मे हुआ हो अथवा  जिनकी कुण्डली मे शनि कष्टदायक हो उन्हें भी सप्तमुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए ।यदि जन्म लग्न की जानकारी न हो तब मकर और कुम्भ राशि वालो को भी सप्तमुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए ।

धारण करने की विधि  ---
      रुद्राक्ष धारण करने के लिए श्रावण का महीना सर्वश्रेष्ठ होता है ।अथवा किसी भी महीने मे सोमवार प्रदोष तेरस पूर्णिमा आदि को धारण करना चाहिए ।प्रातः स्नानादि से निवृत्त होकर किसी कटोरी मे रुद्राक्ष को गाय के दूध  पंचामृत  गंगाजल आदि से स्नान कराओ ।फिर ऊँ हुं नमः इस मंत्र का न्यूनतम एक माला जप करने के बाद रुद्राक्ष धारण करना चाहिए ।अथवा  ऊँ नमः शिवाय जपते हुए भी धारण कर सकते हैं।

Wednesday, 5 February 2020

छः मुखी रुद्राक्ष -- डाॅ कृष्ण पाल त्रिपाठी

       रुद्राक्षों मे छः मुखी रुद्राक्ष की विशिष्ट महत्ता है ।इसे भगवान शिव जी के पुत्र स्वामि कार्तिकेय का स्वरूप माना जाता है ।इसे साधना एवं वैराग्य का भी प्रतीक माना जाता है ।
      महा शिव पुराण मे भी इसे कार्तिकेय जी का स्वरूप माना गया है ।इसे दाहिनी बाँह मे धारण करने से मनुष्य ब्रह्म हत्या सदृश जघन्य पापों से भी मुक्त हो जाता है --
     षड्वक्त्रः कार्तिकेयस्तु धारणाद् दक्षिणे भुजे।
      ब्रह्महत्यादिकैः  पापैर्मुच्यते  नात्र  संशयः ।।

छः मुखी रुद्राक्ष के लाभ  ---
1 -- इस रुद्राक्ष को धारण करने से व्यक्ति का आत्मविश्वास बहुत अधिक बढ़ जाता है।फलतः वह विविध क्षेत्रों मे उत्तमोत्तम सफलतायें प्राप्त करता रहता है ।उसके मन मे हताशा या निराशा का संचार नही होता है।
2 -- इसे धारण करने से मनुष्य की वाक्पटुता बढ़ जाती है।वह जटिल विषयों को भी बहुत आसानी से अभिव्यक्त कर सकता है और अच्छी तरह समझा सकता है।उसकी भाषा इतनी ओजपूर्ण एवं प्रभावशाली हो जाती है कि सम्पूर्ण श्रोता समूह मंत्र मुग्ध हो जाता है।इसलिए अध्यापकों ; धर्मोपदेशकों ; नेताओं आदि को इसे अवश्य धारण करना चाहिए ।इससे उनकी अभिव्यक्ति क्षमता बहुत अधिक बढ़ जायेगी।
3 -- इस रुद्राक्ष को धारण करने से काम ; क्रोध ; लोभ ; मोह ; माया ; मत्सर रूपी षड् विकारों पर पूर्ण नियंत्रण स्थापित हो जाता है ।इसलिए व्यक्ति इन विकारों के षडयंत्र मे नही फँसता है ।
4 -- बुद्धि संवर्धन के लिए भी इस रुद्राक्ष की अद्भुत महत्ता है। जो व्यक्ति इसे धारण कर लेता है।उसकी बुद्धि तीव्र हो जाती है।उसकी स्मरण शक्ति बढ़ जाती है।अतः प्रत्येक विद्यार्थी को अपनी दाहिनी भुजा मे छः मुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए ।विशेषकर जिन बच्चों का समुचित बौद्धिक विकास न हुआ हो ; अविलम्ब इस रुद्राक्ष को धारण कर लेना चाहिए ।
5 -- परीक्षा सन्निकट होने पर सभी परीक्षार्थियों को दो पंचमखी रुद्राक्षों के बीच मे एक छःमुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए ।इससे उनका आत्मविश्वास बना रहेगा और परीक्षा का भय नही सतायेगा।
6 -- इस रुद्राक्ष को धारण करने से मनुष्य के अन्दर नेतृत्व की क्षमता का बहुत सुन्दर विकास होता है।
7 -- दाम्पत्य जीवन को सुखमय बनाने मे भी इस रुद्राक्ष की अप्रतिम महत्ता है।इस रुद्राक्ष को धारण करने से पति पत्नी मे प्रेम की प्रगाढ़ता बढ़ती है।यदि दोनो मे किसी प्रकार का मतभेद रहा होगा तो वह भी धीरे धीरे समाप्त हो जायेगा।जहाँ पति पत्नी मे अलगाव की स्थिति आ गई हो ; तलाक की स्थिति आ गयी हो ; उन लोगों को छः मखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए ।ईश्वर की कृपा से धीरे-धीरे विवाद समाप्त हो जायेगा और पति पत्नी मे पुनः प्रेम सम्बन्ध स्थापित हो जायेगा ।
8 -- प्रेम विवाह को सफल बनाने मे भी इस रुद्राक्ष की अप्रतिम महत्ता मानी गई है।अतः प्रेमी युगल को छः मुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए ।
9 -- संगीत कला से भी इस रुद्राक्ष का बहुत घनिष्ठ संबंध माना गया है।अतः जो लोग संगीत कला मे प्रगति करना चाहते हैं ; उन्हें छःमुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए ।
10 -- इस रुद्राक्ष पर शुक्र ग्रह का विशेष प्रभाव होता है।इसलिए जिनकी कुण्डली मे शुक्र कमजोर हो अथवा पीड़ादायक हो उन्हें छःमुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए ।
11 -- जिनका जन्म वृष अथवा तुला लग्न मे हुआ हो उन्हें छःमुखी रुद्राक्ष धारण करने से बहुत शुभ फल प्राप्त होता है।यदि जन्म लग्न न ज्ञात हो तो वृष एवं तुला राशि वालों को यह रुद्राक्ष विशेष शुभदायक होगा।

धारण करने की विधि ---
     रुद्राक्ष धारण करने के लिए श्रावण का महीना सर्वश्रेष्ठ होता है ।अथवा किसी भी महीने मे सोमवार प्रदोष तेरस पूर्णिमा आदि को धारण करना चाहिए ।प्रातः स्नानादि से निवृत्त होकर किसी कटोरी मे रुद्राक्ष को गाय के दूध पंचामृत गंगाजल आदि से स्नान कराओ ।उसके बाद अक्षत पुष्प धूप दीप नैवेद्य आदि अर्पित करो फिर  ऊँ ह्रीं हुं नमः  इस मंत्र का न्यूनतम एक माला जप करके रुद्राक्ष धारण करना चाहिए ।अथवा ऊँ नमः शिवाय का जप करके धारण किया जा सकता है ।
    

Tuesday, 4 February 2020

पाँच मुखी रुद्राक्ष -- डाॅ कृष्ण पाल त्रिपाठी

       अन्य रुद्राक्षों की भाँति पंच मुखी रुद्राक्ष भी अत्यन्त पवित्र एवं पाप-नाशक होता है ।यह साक्षात् कालाग्नि स्वरूप माना जाता है ।यह पंच देवों का प्रतीक माना जाता है अर्थात इसमे भगवान शिव विष्णु गणेश सूर्य तथा भगवती दुर्गा जी का वास होता है ।इस रुद्राक्ष की सर्वाधिक उल्लेखनीय विशेषता यह है कि यह सर्व सुलभ है ।यह बहुत आसानी से सर्वत्र सुलभ हो जाता है।इसलिए अधिकांश मालायें पंच मुखी रुद्राक्ष की ही बनायी जाती है ।
     महा शिव पुराण के अनुसार पंच मुखी रुद्राक्ष साक्षात् कालाग्निरुद्र रूप है।वह सब कुछ करने मे समर्थ है ।वह सबको मुक्ति प्रदान करने वाला तथा सम्पूर्ण मनोवांछित फल प्रदान करने वाला है ।वह अगम्या स्त्री के साथ गमन करने तथा पापान्न भक्षण से उत्पन्न होने वाले समस्त पापों को दूर कर देता है ----
   पञ्चवक्त्रः स्वयं रुद्रः कालाग्निर्नामतः प्रभुः।
   सर्वमुक्तिप्रदश्चैव          सर्वकामफलप्रदः ।।

पंचमुखी रुद्राक्ष के लाभ  ---
1 --- पंचमुखी रुद्राक्ष सब कुछ करने मे समर्थ होता है।इसलिए जो व्यक्ति इसे श्रद्धापूर्वक धारण करता है ; वह सभी क्षेत्रों मे उत्तमोत्तम सफलता प्राप्त करता है ।
2 -- यह रुद्राक्ष मनोवांछित फल प्रदाता माना जाता है।इसलिए जो व्यक्ति जिस कामना की पूर्ति के लिए इसे धारण करता है ; वह कामना शीघ्र ही पूर्ण हो जाती है ।
3 -- यह रुद्राक्ष अत्यन्त पवित्र और पाप नाशक होता है।इसलिए इस रुद्राक्ष को धारण करने से मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।इस प्रकार वह भक्त पूर्णतः निष्कलुष हो जाता है।
4 -- इस रुद्राक्ष की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह दुर्घटनाओं से बचाता है।अतः इसे प्रत्येक व्यक्ति को धारण करना चाहिए ।विशेषकर जो लोग वाहन चालक हों ; नित्य यात्रा करने वाले हों या मशीनरी कार्य करने वाले हों ; उन्हें पंच मुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए ।
5 -- यह पंच देवों का प्रतीक माना जाता है।अतः जो व्यक्ति इस रुद्राक्ष को धारण करता है ; उस पर पंच देवों की कृपा सहज ही प्राप्त हो जाती है।
6 -- यह रुद्राक्ष रोग - नाशक भी होता है ।इसलिए हर प्रकार के मानसिक रोग  ; मधुमेह  ; रक्तचाप ; हृदय रोग  आदि रोगों को दूर करने के लिए इस रुद्राक्ष को अवश्य धारण करना चाहिए ।
7 -- इस रुद्राक्ष को धारण करने से मानसिक तनाव दूर हो जाता है।मनःशान्ति के लिए यह सर्वोत्तम रुद्राक्ष माना जाता है।
8 -- आर्थिक विकास के लिए भी इस रुद्राक्ष को धारण करना चाहिए ।जो व्यक्ति इस रुद्राक्ष को धारण करता है  ; वाणिज्य व्यापार व्यवसाय नौकरी आदि मे उल्लेखनीय प्रगति होती है ।आय के नवीन स्रोत बन जाते हैं।
9 -- इस रुद्राक्ष को धारण करने से व्यक्ति के मन मे सकारात्मक विचारों का प्रादुर्भाव होने लगता है।नकारात्मक सोच बिल्कुल दूर हो जाती है।
10 -- पारिवारिक सुख शान्ति के लिए भी यह रुद्राक्ष बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निर्वाह करता है।
11 -- यह रुद्राक्ष एक सुरक्षा कवच की तरह काम करता है।इसे धारण करने पर व्यक्ति के ऊपर बाह्य एवं नकारात्मक ऊर्जा का दुष्प्रभाव नही पडेगा।
12 --इस रुद्राक्ष को धारण करने से मनुष्य की बौद्धिक क्षमता एवं स्मरण शक्ति का बहुत अधिक विकास होता है।विशेषकर बुढापे मे जब भूलने की आदत बन जाये तब इस रुद्राक्ष को अवश्य धारण करना चाहिए ।
13 -- इस रुद्राक्ष को धारण करने मनुष्य को समाज मे मान सम्मान और सहयोग की प्राप्ति होती है।
14 -- यह रुद्राक्ष बृहस्पति ग्रह से सम्बन्धित होता है।अतः जिनकी कुण्डली मे बृहस्पति कमजोर हो आथवा अनिष्टकारी हो ; उन्हें पंचमुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए ।इसे धारण करने मात्र से ही बृहस्पति कृत सभी  कष्ट दूर हो जाते हैं।
15 -- बृहस्पति से सम्बन्धित होने के कारण धनु एवं मीन राशि वालों को यह रुद्राक्ष विशेष शुभदायक होता है।

धारण करने की विधि ---
     रुद्राक्ष धारण करने के लिए श्रावण का महीना सर्वश्रेष्ठ होता है  अथवा किसी भी महीने मे सोमवार प्रदोष  तेरस पूर्णिमा आदि को धारण करना चाहिए ।प्रातः स्नानादि से निवृत्त होकर रुद्राक्ष को किसी पात्र मे रखकर गोदुग्ध पंचामृत गंगाजल आदि से स्नान कराओ ।उसके बाद  ऊँ ह्रीं नमः  इस मंत्र का न्यूनतम एक माला जप करके रुद्राक्ष धारण करना चाहिए ।अथवा ऊँ नमः शिवाय का जप करो ।