महा शिव पुराण मे भी इसे कार्तिकेय जी का स्वरूप माना गया है ।इसे दाहिनी बाँह मे धारण करने से मनुष्य ब्रह्म हत्या सदृश जघन्य पापों से भी मुक्त हो जाता है --
षड्वक्त्रः कार्तिकेयस्तु धारणाद् दक्षिणे भुजे।
ब्रह्महत्यादिकैः पापैर्मुच्यते नात्र संशयः ।।
छः मुखी रुद्राक्ष के लाभ ---
1 -- इस रुद्राक्ष को धारण करने से व्यक्ति का आत्मविश्वास बहुत अधिक बढ़ जाता है।फलतः वह विविध क्षेत्रों मे उत्तमोत्तम सफलतायें प्राप्त करता रहता है ।उसके मन मे हताशा या निराशा का संचार नही होता है।
2 -- इसे धारण करने से मनुष्य की वाक्पटुता बढ़ जाती है।वह जटिल विषयों को भी बहुत आसानी से अभिव्यक्त कर सकता है और अच्छी तरह समझा सकता है।उसकी भाषा इतनी ओजपूर्ण एवं प्रभावशाली हो जाती है कि सम्पूर्ण श्रोता समूह मंत्र मुग्ध हो जाता है।इसलिए अध्यापकों ; धर्मोपदेशकों ; नेताओं आदि को इसे अवश्य धारण करना चाहिए ।इससे उनकी अभिव्यक्ति क्षमता बहुत अधिक बढ़ जायेगी।
3 -- इस रुद्राक्ष को धारण करने से काम ; क्रोध ; लोभ ; मोह ; माया ; मत्सर रूपी षड् विकारों पर पूर्ण नियंत्रण स्थापित हो जाता है ।इसलिए व्यक्ति इन विकारों के षडयंत्र मे नही फँसता है ।
4 -- बुद्धि संवर्धन के लिए भी इस रुद्राक्ष की अद्भुत महत्ता है। जो व्यक्ति इसे धारण कर लेता है।उसकी बुद्धि तीव्र हो जाती है।उसकी स्मरण शक्ति बढ़ जाती है।अतः प्रत्येक विद्यार्थी को अपनी दाहिनी भुजा मे छः मुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए ।विशेषकर जिन बच्चों का समुचित बौद्धिक विकास न हुआ हो ; अविलम्ब इस रुद्राक्ष को धारण कर लेना चाहिए ।
5 -- परीक्षा सन्निकट होने पर सभी परीक्षार्थियों को दो पंचमखी रुद्राक्षों के बीच मे एक छःमुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए ।इससे उनका आत्मविश्वास बना रहेगा और परीक्षा का भय नही सतायेगा।
6 -- इस रुद्राक्ष को धारण करने से मनुष्य के अन्दर नेतृत्व की क्षमता का बहुत सुन्दर विकास होता है।
7 -- दाम्पत्य जीवन को सुखमय बनाने मे भी इस रुद्राक्ष की अप्रतिम महत्ता है।इस रुद्राक्ष को धारण करने से पति पत्नी मे प्रेम की प्रगाढ़ता बढ़ती है।यदि दोनो मे किसी प्रकार का मतभेद रहा होगा तो वह भी धीरे धीरे समाप्त हो जायेगा।जहाँ पति पत्नी मे अलगाव की स्थिति आ गई हो ; तलाक की स्थिति आ गयी हो ; उन लोगों को छः मखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए ।ईश्वर की कृपा से धीरे-धीरे विवाद समाप्त हो जायेगा और पति पत्नी मे पुनः प्रेम सम्बन्ध स्थापित हो जायेगा ।
8 -- प्रेम विवाह को सफल बनाने मे भी इस रुद्राक्ष की अप्रतिम महत्ता मानी गई है।अतः प्रेमी युगल को छः मुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए ।
9 -- संगीत कला से भी इस रुद्राक्ष का बहुत घनिष्ठ संबंध माना गया है।अतः जो लोग संगीत कला मे प्रगति करना चाहते हैं ; उन्हें छःमुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए ।
10 -- इस रुद्राक्ष पर शुक्र ग्रह का विशेष प्रभाव होता है।इसलिए जिनकी कुण्डली मे शुक्र कमजोर हो अथवा पीड़ादायक हो उन्हें छःमुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए ।
11 -- जिनका जन्म वृष अथवा तुला लग्न मे हुआ हो उन्हें छःमुखी रुद्राक्ष धारण करने से बहुत शुभ फल प्राप्त होता है।यदि जन्म लग्न न ज्ञात हो तो वृष एवं तुला राशि वालों को यह रुद्राक्ष विशेष शुभदायक होगा।
धारण करने की विधि ---
रुद्राक्ष धारण करने के लिए श्रावण का महीना सर्वश्रेष्ठ होता है ।अथवा किसी भी महीने मे सोमवार प्रदोष तेरस पूर्णिमा आदि को धारण करना चाहिए ।प्रातः स्नानादि से निवृत्त होकर किसी कटोरी मे रुद्राक्ष को गाय के दूध पंचामृत गंगाजल आदि से स्नान कराओ ।उसके बाद अक्षत पुष्प धूप दीप नैवेद्य आदि अर्पित करो फिर ऊँ ह्रीं हुं नमः इस मंत्र का न्यूनतम एक माला जप करके रुद्राक्ष धारण करना चाहिए ।अथवा ऊँ नमः शिवाय का जप करके धारण किया जा सकता है ।
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