चतुर्वक्त्रः स्वयं ब्रह्मा नरहत्यां व्यपोहति ।
दर्शनात् स्पर्शनात् सद्यश्चतुर्वर्गफलप्रदः ।।
धारण करने से लाभ ---
चार मुखी रुद्राक्ष धारण करने से मनुष्य को असंख्य लाभ होते हैं परन्तु यहाँ पर कुछ प्रमुख लाभों का उल्लेख किया जा रहा है --
1 -- चार मुखी रुद्राक्ष अत्यन्त पवित्र होता है।इसे धारण करने पर यह जैसे ही हृदय को स्पर्श करता है , वैसे ही मनुष्य का हृदय धार्मिक भावनाओं से ओत-प्रोत हो जाता है।उसके मन मे बसी हुई सभी दुर्भावनायें एवं वासनायें समाप्त हो जाती हैं।उसका हृदय अत्यन्त पवित्र एवं निष्कलुष हो जाता है ।
2 -- इसे धारण करने से मनुष्य के मुख मण्डल की आभा बढ़ जाती है और शरीर अत्यन्त कान्तिमान बन जाता है।
3 -- चार मुखी रुद्राक्ष मानसिक तनाव चिन्ता आदि को दूर करने के लिए बहुत उपयुक्त होता है।
4 -- चार मुखी रुद्राक्ष धारण करने से मनुष्य के वःश की वृद्धि होती है।जिन लोगों के बच्चे नही हो रहे हैं उन्हें चार मुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए ।
5 -- यह रुद्राक्ष छात्रों ; अध्यापकों ; साहित्यकारों ; प्रतियोगी छात्रों एवं शोधकार्य मे लगे लोगों को अवश्य धारण करना चाहिए ।जिन विद्यार्थियों का मन पढ़ाई मे न लगता हो अथवा जो मन्द बुद्धि वाले हों ; उन्हें चार मुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए ।इसको धारण करने से स्मरण शक्ति बहुत अधिक बढ़ जाती है।अतः जिन्हें भूलने की आदत हो उन्हे इस रुद्राक्ष को अवश्य धारण करना चाहिए ।
इसके धारण करने मात्र से ही विद्या बुद्धि तथा वीवेक शक्ति का उल्लेखनीय विकास होता है।इसे धारण करने से ज्ञान विज्ञान ज्योतिष धर्म शास्त्र आदि के प्रति रुचि जागृत होती है और थोड़ा प्रयास करने पर इन क्षेत्रो मे आशातीत सफलता मिलती है ।
6 -- मानसिक एकाग्रता बढ़ाने मे इस रुद्राक्ष की अहं भूमिका होती है।अतः जो लोग किसी महत्वपूर्ण अनुसंधान मे लगे हों अथवा योजना निर्माण का कार्य करते हों ; उनके लिए यह रुद्राक्ष बहुत उपयोगी है ।
7 -- यह रुद्राक्ष तर्क शक्ति को बढ़ाने तथा संरचनात्मक क्षमता को विकसित करने मे महत्वपूर्ण योगदान करता है।अतः वकील जज आदि को इस रुद्राक्ष को अवश्य धारण करना चाहिए ।
8 -- स्वास्थ्य संरक्षण और संवर्धन की दृष्टि से भी इस रुद्राक्ष का बहुत अधिक महत्व है।इसे धारण करने से मिर्गी आदि सभी प्रकार के मानसिक रोग ; मस्तिष्क विकार ; पेट मे गैस बनना ; आँतों से सम्बन्धित सभी रोग ; लकवा ; शरीर - दर्द ; त्वचा रोग ; पक्षाघात ; पीत ज्वर ; दमा ; नासिका सम्बन्धी रोग ; वाणी विकार आदि सभी रोग ठीक हो जाते हैं।
9 -- चार मुखी रुद्राक्ष मे रोग शोक और बाधाओं को नष्ट करने की अभूतपूर्व क्षमता होती है।इसलिए यथा संभव सभी लोगों को इसे धारण करना चाहिए ।
10 -- इस रुद्राक्ष को धारण करने मनुष्य की वाणी का प्रभाव बहुत अधिक बढ़ जाता है।उसकी वाणी की मधुरता के कारण व्यवहार क्षेत्र की बढ़ोत्तरी होती है।वह दूसरों को भी अपना बनाने की कला मे अत्यन्त निपुण हो जाता है।
11 -- यह रुद्राक्ष बुध ग्रह से सम्बन्धित होता है।इसलिए मिथुन तथा कन्या लग्न वाले जातकों को चार मुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए ।यह वृष तुला मकर तथा कुम्भ लग्न वालों के लिए भी लाभदायक होता है।
12 -- आर्थिक विकास के लिए भी चार मुखी रुद्राक्ष बहुत शुभ प्रभाव डालता है।इसे धारण करने से मनुष्य वाणिज्य व्यापार व्यवसाय नौकरी आदि मे बहुत अधिक प्रगति करता है।
13 -- चार मुखी रुद्राक्ष मे पन्ना रत्न के गुण पाये जाते हैं।अतः जिन लोगों की कुण्डली मे बुध कष्टदायक हो।उन्हें चार मुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए ।
14 -- कलाकारों को भी चार मुखी रुद्राक्ष बहुत महत्वपूर्ण सफलता दिलाता है।
धारण करने की विधि --
अन्य रुद्राक्षों की भाँति इसे भी किसी बर्तन मे रखकर जल गाय के दूध पंचामृत गंगाजल आदि से स्नान कराओ ।फिर पुष्प अक्षत चन्दन धूप दीप नैवेद्य आदि अर्पित करो ।बाद मे ऊँ ह्रीं नमः इस मंत्र का न्यूनतम एक माला जप करने के बाद चार मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए ।