Monday, 27 January 2020

दो मुखी रुद्राक्ष -- डाॅ कृष्ण पाल त्रिपाठी

       सामान्य रूप से सभी रुद्राक्ष अत्यन्त पवित्र एवं पाप-नाशक होते हैं परन्तु प्रत्येक रुद्राक्ष की कुछ अपनी निजी विशेषतायें होती हैं ; जो उसे अन्य रुद्राक्षों की अपेक्षा विशिष्ट बनाता है ।दो मुखी रुद्राक्ष भी असंख्य विशेषताओं से युक्त होता है ।इसे भगवान शिव जी एवं माता पार्वती जी का स्वरूप माना जाता है ।इसके दोनो मुख भगवान शिव जी तथा माता पार्वती जी के प्रतीक के रूप मे विख्यात है ।इस रुद्राक्ष मे भगवान शिव जी तथा माता पार्वती जी का सदैव निवास रहता है ।
      दो मुखी रुद्राक्ष बहुत महत्वपूर्ण एवं कल्याणकारी होता है ।महा शिव पुराण मे इसे देवदेवेश्वर कहा गया है।यह सम्पूर्ण कामनाओं तथा फलों को प्रदान करने वाला है ।यह गोहत्या सदृश जघन्य पापों को भी नष्ट करने वाला है  --
      द्विवक्त्रो    देवदेवेशः   सर्वकामफलप्रदः।
      विशेषतः स रुद्राक्षो गोवधं नाशयेद् द्रुतम्।।
दो मुखी रुद्राक्ष के लाभ ----
             वैसे तो दो मुखी रुद्राक्ष असंख्य विशेषताओं से विभूषित है।इसे धारण करने से अनेक प्रकार के लाभ भी होते हैं परन्तु यहाँ पर कुछ विशिष्ट लाभों की ओर संकेत करने का प्रयास किया जा रहा है --
1 -- दो मुखी रुद्राक्ष मे शिव एवं शक्ति दोनो का निवास होता है।इसलिए जो व्यक्ति इसे धारण करता है ; भगवान शिव जी एवं माता पार्वती जी का शुभाशीष स्वतः ही प्राप्त हो जाता है।
2 -- दो मुखी रुद्राक्ष धारण करने से मनुष्य की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी हो जाती है।यदि उसके ऊपर कर्ज का बोझ होगा तो वह भी समाप्त हो जायेगा।इस रुद्राक्ष की कृपा से व्यक्ति विभिन्न संसाधनों के द्वारा पर्याप्त धनार्जन करता है और उस धन से उधार लिये गये पैसे वापस करके कर्जमुक्त हो जाता है।
3 -- दो मुखी रुद्राक्ष धारण करने से स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है।जो व्यक्ति मोटापा से परेशान हों ; उन्हें दो मुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए ।इसी प्रकार फेफड़े से सम्बन्धित बीमारी के लिए यह रुद्राक्ष रामबाण की तरह अमोघ औषधि है ।
4 -- दाम्पत्य जीवन को मधुर एवं सुखमय बनाने मे दो मुखी रुद्राक्ष अहं भूमिका मानी जाती है।इसलिए जो व्यक्ति दो मुखी रुद्राक्ष धारण करता है उसके पति-पत्नी के बीच किसी प्रकार के मतभेद या विवाद की संभावना नही रहती है ।यदि किसी पति-पत्नी के बीच कोई विवाद उत्पन्न हो गया हो तो उस व्यक्ति को दो मुखी रुद्राक्ष अविलम्ब धारण करना चाहिए ।इसे धारण करते ही विवाद समाप्त हो जायेगा और दोनो मे प्रगाढ़ प्रेम उत्पन्न हो जायेगा ।
5 -- दो मुखी रुद्राक्ष केवल पति-पत्नी के बीच ही नहीं ; बल्कि समस्त द्विपक्षीय सम्बन्धों को मधुर बनाने मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है ।यह पिता-पुत्र  ; भाई-भाई ; भाई-बहन  ; गुरु -शिष्य  ; बिजनेस-पार्टनर आदि द्विपक्षीय सम्बन्धों को मधुर से मधुरतम बना देता है।
6 -- दो मुखी रुद्राक्ष बहुत सम्मान वर्धक होता है।इसलिए जो व्यक्ति इसे धारण करता है ; उसे समाज मे यश ; कीर्ति ; मान-सम्मान  ; ऐश्वर्य आदि की प्राप्ति अवश्य होती है ।
7 -- दो मुखी रुद्राक्ष धारण करने भूत-प्रेत की बाधा समाप्त हो जाती है।
8 -- रूप -सौन्दर्य की वृद्धि के लिए भी दो मुखी रुद्राक्ष बहुत महत्वपूर्ण होता है ।अतः जो व्यक्ति दो मुखी रुद्राक्ष धारण कर लेता है  ; उसका रूप-सौन्दर्य अपेक्षित मात्रा मे निखर उठता है ।
9 -- दो मुखी रुद्राक्ष धारण करने से व्यक्ति की वाक्शक्ति की वृद्धि होती है।इसलिए वक्ताओं ; अध्यापकों ; धर्मोपदेशकों ; नेताओं आदि को दो मुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए ।
10 -- दो मुखी रुद्राक्ष को सर्वकामफलप्रद कहा गया है।अतः जो व्यक्ति इसे धारण कर लेता है ; उसकी समस्त कामनायें पूर्ण हो जाती हैं।उसके जीवन मे किसी प्रकार का अभाव नही रहता है ।वह सभी अभीष्टों को प्राप्त कर लेता है ।
11 -- दो मुखी रुद्राक्ष चन्द्रमा के अधिकार क्षेत्र मे आता है।इसलिए जो व्यक्ति इसे धारण करता है ; उसके मन-मस्तिष्क मे सदैव शान्ति बनी रहती है ।कर्क राशि वालो को दो मुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए ।
 धारण करने की विधि ---
        दो मुखी रुद्राक्ष धारण करने के लिए सोमवार  ; प्रदोष  ; त्रयोदशी  ; पूर्णिमा आदि का दिन विशेष उपयुक्त माना जाता है ।श्रावण का महीना बहुत शुभ होता है ।महा शिवरात्रि का पर्व तो इसके लिए सर्वाधिक उपयुक्त मुहूर्त माना जाता है ।
        अतः उपयुक्त मुहूर्त मे प्रातः काल स्नान आदि से निवृत्त होकर किसी कटोरी मे दो मुखी रुद्राक्ष रखकर गोदुग्ध  ; पंचामृत ; गंगा जल ; शुद्ध जल आदि से स्नान कराओ।फिर चन्दन अक्षत धूप दीप नैवेद्य आदि अर्पित करो।उसके बाद ऊँ देवदेवेश्वराय नमः का न्यूनतम एक माला जप करो ।हो सके तो एक माला ऊँ नमः शिवाय का जप करो ।इसके बाद उसे धारण कर लो।

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