Thursday, 6 February 2020

सात मुखी रुद्राक्ष -- डाॅ कृष्ण पाल त्रिपाठी

       सात मुखी रुद्राक्ष बहुत महत्वपूर्ण और उपयोगी होता है ।यह भी बहुत पवित्र और पाप नाशक होता है ।यह अनेक दिव्य गुणों से भरपूर होता है ।इसे भगवान शिव जी का स्वरूप माना जाता है ।कुछ विद्वानो ने इसे माता महालक्ष्मी का स्वरूप माना है।
       महा शिव पुराण के अनुसार सप्त मुखी रुद्राक्ष अनंग नाम से प्रसिद्ध है ।इसे धारण करने से दरिद्र भी ऐश्वर्यशाली बन जाता है  ---
      सप्तवक्त्रो महेशानि ह्यनङ्गो नाम नामतः।
      धारणात्तस्य देवेशि दरिद्रोऽपीश्वरो भवेत् ।।

धारण करने से लाभ  ---
1 -- सात मुखी रुद्राक्ष की सर्वाधिक उल्लेखनीय विशेषता यह है कि इसे धारण करने मात्र से ही मनुष्य को माता महालक्ष्मी की असीम अनुकम्पा प्राप्त हो जाती है।लक्ष्मी जी उसके घर मे स्थायी रूप से निवास करने लगती हैं।अतः स्वाभाविक है कि वह व्यक्ति अत्यन्त धनी और ऐश्वर्यशाली बन जायेगा।
2 -- इसे धारण करने पर व्यक्ति की हर प्रकार की आर्थिक समस्याओ का समाधान मिल जाता है।धनार्जन करने के नवीन मार्ग खुल जाते हैं।वाणिज्य व्यापार व्यवसाय का विकास और विस्तार होने लगता है।विभिन्न स्रोतों के द्वारा अथाह धन लाभ होने लगता है।उसका आर्थिक पक्ष अत्यन्त सबल बन जाता है।फलतः धन सम्बन्धी चिन्ता बिल्कुल समाप्त हो जाती है।उसका कोई भी कार्य धनाभाव के कारण नही रुकता है।अतः सब लोगों को चाहिए कि वे कम से कम एक सप्तमुखी रुद्राक्ष गले मे धारण कर लें और एक सप्तमुखी रुद्राक्ष अपने पूजा स्थल पर स्थापित करके नित्य पूजन करें।इससे पूरा परिवार आर्थिक संकट से उबर जायेगा।परिवार का खर्च कम हो जायेगा और आमदनी निरन्तर बढ़ती जायेगी।
3 -- नौकरी करने वाले व्यक्तियों के लिए भी यह रुद्राक्ष बहुत उपयोगी है।इसे धारण करने से नौकरी उन्नति और मान सम्मान की वृद्धि होती है।अतः नौकरी करने वाले सभी लोगों को सात मुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए;  जिससे उन्हें उनके सम्बन्धित क्षेत्र मे उत्तमोत्तम सफलता प्राप्त हो सके।
4 -- यह रुद्राक्ष अपनी ओर सुख समृद्धि सन्तोष खुशी आदि को आकर्षित करने वाला है।अतः इसे धारण करने वाले को ये सभी चीजें बहुत आसानी से प्राप्त हो जाती हैं।
5 -- यह रुद्राक्ष दुर्भाग्य को दूर करने तथा सौभाग्य की वृद्धि करने वाला है।अतः जो व्यक्ति इसे धारण करता है ; वह परम सौभाग्यशाली बन जाता है ।
6 -- यह रुद्राक्ष पारस्परिक सम्बन्धों मे मधुरता लाने वाला है।अतः इसे धारण करने पर मनुष्य के विवाद समाप्त हो जाते हैं।पारस्परिक सम्बन्ध अत्यन्त मधुर एवं प्रगाढ़ बन जाते हैं।
7 -- इसको धारण करने से मन मे सद्भावों का प्रादुर्भाव होने लगता है।उसके मन मस्तिष्क से दुर्भाव दूर हो जाते हैं।इससे मन मे शान्ति बनी रहती है।
8 -- इसे धारण करने से कोर्ट कचेहरी के मामलों मे मनचाही सफलता मिलती है।अतः जो लोग इस दृष्टि से परेशान हों उन्हें सप्तमुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए ।
9 -- यह रुद्राक्ष बहुत प्रभावशाली होता है।इसे धारण करने से मनुष्य को धन सम्पदा मान सम्मान यश कीर्ति ऐश्वर्य आदि सब कुछ आसानी से मिल जाता है।
10 -- इसे धारण करने पर व्यक्ति सर्प भय से मुक्त हो जाता है।
11 -- इस रुद्राक्ष मे सप्त मातृकाओं का निवास होता है।अतः इसे धारण करने से व्यक्ति को सर्वविध सांसारिक सुखों की प्राप्ति बहुत आसानी से हो जाती है।
12 -- यह रुद्राक्ष मनुष्य को दीर्घायु बनाने वाला तथा अकाल मृत्यु से रक्षा करने वाला है।अतः इसे धारण करने से मनुष्य हर प्रकार की दुर्घटनाओं से बचा रहता है।इसलिए जिन लोगों को अधिक यात्रा करनी हो अथवा जो लोग मशीनरी कार्यों से सम्बन्धित हों उन्हें सप्तमुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए ।
13 -- इसमे सप्तर्षियों का आशीर्वाद सन्निहित होता है।अतः इसे धारण करने से शरीर मे सप्तधातुओं की रक्षा होती है।
14 -- स्वास्थ्य की दृष्टि से भी इस रुद्राक्ष का बहुत अधिक महत्व है।इसे धारण करने से स्नायु तंत्र से सम्बन्धित सभी रोग ठीक हो जाते हैं।साथ ही मानसिक रोग ; गठिया वायु ; हड्डी एवं मांसपेशियों की पीड़ा  ; अस्थमा आदि अनेक रोगों से छुटकारा मिल जाता है ।अतः स्वास्थ्य संरक्षण एवं संवर्धन के लिए सभी लोगों को सप्तमुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए ।
15 -- सप्तमुखी रुद्राक्ष शनि ग्रह से सम्बन्धित होता है।अतः जो लोग शनि की साढ़ेसाती ढैया अथवा दशान्तर्दशा से पीड़ित हों उन्हें सप्तमुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए ।
16 -- जिन लोगों का जन्म मकर या कुम्भ लग्न मे हुआ हो अथवा  जिनकी कुण्डली मे शनि कष्टदायक हो उन्हें भी सप्तमुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए ।यदि जन्म लग्न की जानकारी न हो तब मकर और कुम्भ राशि वालो को भी सप्तमुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए ।

धारण करने की विधि  ---
      रुद्राक्ष धारण करने के लिए श्रावण का महीना सर्वश्रेष्ठ होता है ।अथवा किसी भी महीने मे सोमवार प्रदोष तेरस पूर्णिमा आदि को धारण करना चाहिए ।प्रातः स्नानादि से निवृत्त होकर किसी कटोरी मे रुद्राक्ष को गाय के दूध  पंचामृत  गंगाजल आदि से स्नान कराओ ।फिर ऊँ हुं नमः इस मंत्र का न्यूनतम एक माला जप करने के बाद रुद्राक्ष धारण करना चाहिए ।अथवा  ऊँ नमः शिवाय जपते हुए भी धारण कर सकते हैं।

Wednesday, 5 February 2020

छः मुखी रुद्राक्ष -- डाॅ कृष्ण पाल त्रिपाठी

       रुद्राक्षों मे छः मुखी रुद्राक्ष की विशिष्ट महत्ता है ।इसे भगवान शिव जी के पुत्र स्वामि कार्तिकेय का स्वरूप माना जाता है ।इसे साधना एवं वैराग्य का भी प्रतीक माना जाता है ।
      महा शिव पुराण मे भी इसे कार्तिकेय जी का स्वरूप माना गया है ।इसे दाहिनी बाँह मे धारण करने से मनुष्य ब्रह्म हत्या सदृश जघन्य पापों से भी मुक्त हो जाता है --
     षड्वक्त्रः कार्तिकेयस्तु धारणाद् दक्षिणे भुजे।
      ब्रह्महत्यादिकैः  पापैर्मुच्यते  नात्र  संशयः ।।

छः मुखी रुद्राक्ष के लाभ  ---
1 -- इस रुद्राक्ष को धारण करने से व्यक्ति का आत्मविश्वास बहुत अधिक बढ़ जाता है।फलतः वह विविध क्षेत्रों मे उत्तमोत्तम सफलतायें प्राप्त करता रहता है ।उसके मन मे हताशा या निराशा का संचार नही होता है।
2 -- इसे धारण करने से मनुष्य की वाक्पटुता बढ़ जाती है।वह जटिल विषयों को भी बहुत आसानी से अभिव्यक्त कर सकता है और अच्छी तरह समझा सकता है।उसकी भाषा इतनी ओजपूर्ण एवं प्रभावशाली हो जाती है कि सम्पूर्ण श्रोता समूह मंत्र मुग्ध हो जाता है।इसलिए अध्यापकों ; धर्मोपदेशकों ; नेताओं आदि को इसे अवश्य धारण करना चाहिए ।इससे उनकी अभिव्यक्ति क्षमता बहुत अधिक बढ़ जायेगी।
3 -- इस रुद्राक्ष को धारण करने से काम ; क्रोध ; लोभ ; मोह ; माया ; मत्सर रूपी षड् विकारों पर पूर्ण नियंत्रण स्थापित हो जाता है ।इसलिए व्यक्ति इन विकारों के षडयंत्र मे नही फँसता है ।
4 -- बुद्धि संवर्धन के लिए भी इस रुद्राक्ष की अद्भुत महत्ता है। जो व्यक्ति इसे धारण कर लेता है।उसकी बुद्धि तीव्र हो जाती है।उसकी स्मरण शक्ति बढ़ जाती है।अतः प्रत्येक विद्यार्थी को अपनी दाहिनी भुजा मे छः मुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए ।विशेषकर जिन बच्चों का समुचित बौद्धिक विकास न हुआ हो ; अविलम्ब इस रुद्राक्ष को धारण कर लेना चाहिए ।
5 -- परीक्षा सन्निकट होने पर सभी परीक्षार्थियों को दो पंचमखी रुद्राक्षों के बीच मे एक छःमुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए ।इससे उनका आत्मविश्वास बना रहेगा और परीक्षा का भय नही सतायेगा।
6 -- इस रुद्राक्ष को धारण करने से मनुष्य के अन्दर नेतृत्व की क्षमता का बहुत सुन्दर विकास होता है।
7 -- दाम्पत्य जीवन को सुखमय बनाने मे भी इस रुद्राक्ष की अप्रतिम महत्ता है।इस रुद्राक्ष को धारण करने से पति पत्नी मे प्रेम की प्रगाढ़ता बढ़ती है।यदि दोनो मे किसी प्रकार का मतभेद रहा होगा तो वह भी धीरे धीरे समाप्त हो जायेगा।जहाँ पति पत्नी मे अलगाव की स्थिति आ गई हो ; तलाक की स्थिति आ गयी हो ; उन लोगों को छः मखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए ।ईश्वर की कृपा से धीरे-धीरे विवाद समाप्त हो जायेगा और पति पत्नी मे पुनः प्रेम सम्बन्ध स्थापित हो जायेगा ।
8 -- प्रेम विवाह को सफल बनाने मे भी इस रुद्राक्ष की अप्रतिम महत्ता मानी गई है।अतः प्रेमी युगल को छः मुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए ।
9 -- संगीत कला से भी इस रुद्राक्ष का बहुत घनिष्ठ संबंध माना गया है।अतः जो लोग संगीत कला मे प्रगति करना चाहते हैं ; उन्हें छःमुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए ।
10 -- इस रुद्राक्ष पर शुक्र ग्रह का विशेष प्रभाव होता है।इसलिए जिनकी कुण्डली मे शुक्र कमजोर हो अथवा पीड़ादायक हो उन्हें छःमुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए ।
11 -- जिनका जन्म वृष अथवा तुला लग्न मे हुआ हो उन्हें छःमुखी रुद्राक्ष धारण करने से बहुत शुभ फल प्राप्त होता है।यदि जन्म लग्न न ज्ञात हो तो वृष एवं तुला राशि वालों को यह रुद्राक्ष विशेष शुभदायक होगा।

धारण करने की विधि ---
     रुद्राक्ष धारण करने के लिए श्रावण का महीना सर्वश्रेष्ठ होता है ।अथवा किसी भी महीने मे सोमवार प्रदोष तेरस पूर्णिमा आदि को धारण करना चाहिए ।प्रातः स्नानादि से निवृत्त होकर किसी कटोरी मे रुद्राक्ष को गाय के दूध पंचामृत गंगाजल आदि से स्नान कराओ ।उसके बाद अक्षत पुष्प धूप दीप नैवेद्य आदि अर्पित करो फिर  ऊँ ह्रीं हुं नमः  इस मंत्र का न्यूनतम एक माला जप करके रुद्राक्ष धारण करना चाहिए ।अथवा ऊँ नमः शिवाय का जप करके धारण किया जा सकता है ।
    

Tuesday, 4 February 2020

पाँच मुखी रुद्राक्ष -- डाॅ कृष्ण पाल त्रिपाठी

       अन्य रुद्राक्षों की भाँति पंच मुखी रुद्राक्ष भी अत्यन्त पवित्र एवं पाप-नाशक होता है ।यह साक्षात् कालाग्नि स्वरूप माना जाता है ।यह पंच देवों का प्रतीक माना जाता है अर्थात इसमे भगवान शिव विष्णु गणेश सूर्य तथा भगवती दुर्गा जी का वास होता है ।इस रुद्राक्ष की सर्वाधिक उल्लेखनीय विशेषता यह है कि यह सर्व सुलभ है ।यह बहुत आसानी से सर्वत्र सुलभ हो जाता है।इसलिए अधिकांश मालायें पंच मुखी रुद्राक्ष की ही बनायी जाती है ।
     महा शिव पुराण के अनुसार पंच मुखी रुद्राक्ष साक्षात् कालाग्निरुद्र रूप है।वह सब कुछ करने मे समर्थ है ।वह सबको मुक्ति प्रदान करने वाला तथा सम्पूर्ण मनोवांछित फल प्रदान करने वाला है ।वह अगम्या स्त्री के साथ गमन करने तथा पापान्न भक्षण से उत्पन्न होने वाले समस्त पापों को दूर कर देता है ----
   पञ्चवक्त्रः स्वयं रुद्रः कालाग्निर्नामतः प्रभुः।
   सर्वमुक्तिप्रदश्चैव          सर्वकामफलप्रदः ।।

पंचमुखी रुद्राक्ष के लाभ  ---
1 --- पंचमुखी रुद्राक्ष सब कुछ करने मे समर्थ होता है।इसलिए जो व्यक्ति इसे श्रद्धापूर्वक धारण करता है ; वह सभी क्षेत्रों मे उत्तमोत्तम सफलता प्राप्त करता है ।
2 -- यह रुद्राक्ष मनोवांछित फल प्रदाता माना जाता है।इसलिए जो व्यक्ति जिस कामना की पूर्ति के लिए इसे धारण करता है ; वह कामना शीघ्र ही पूर्ण हो जाती है ।
3 -- यह रुद्राक्ष अत्यन्त पवित्र और पाप नाशक होता है।इसलिए इस रुद्राक्ष को धारण करने से मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।इस प्रकार वह भक्त पूर्णतः निष्कलुष हो जाता है।
4 -- इस रुद्राक्ष की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह दुर्घटनाओं से बचाता है।अतः इसे प्रत्येक व्यक्ति को धारण करना चाहिए ।विशेषकर जो लोग वाहन चालक हों ; नित्य यात्रा करने वाले हों या मशीनरी कार्य करने वाले हों ; उन्हें पंच मुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए ।
5 -- यह पंच देवों का प्रतीक माना जाता है।अतः जो व्यक्ति इस रुद्राक्ष को धारण करता है ; उस पर पंच देवों की कृपा सहज ही प्राप्त हो जाती है।
6 -- यह रुद्राक्ष रोग - नाशक भी होता है ।इसलिए हर प्रकार के मानसिक रोग  ; मधुमेह  ; रक्तचाप ; हृदय रोग  आदि रोगों को दूर करने के लिए इस रुद्राक्ष को अवश्य धारण करना चाहिए ।
7 -- इस रुद्राक्ष को धारण करने से मानसिक तनाव दूर हो जाता है।मनःशान्ति के लिए यह सर्वोत्तम रुद्राक्ष माना जाता है।
8 -- आर्थिक विकास के लिए भी इस रुद्राक्ष को धारण करना चाहिए ।जो व्यक्ति इस रुद्राक्ष को धारण करता है  ; वाणिज्य व्यापार व्यवसाय नौकरी आदि मे उल्लेखनीय प्रगति होती है ।आय के नवीन स्रोत बन जाते हैं।
9 -- इस रुद्राक्ष को धारण करने से व्यक्ति के मन मे सकारात्मक विचारों का प्रादुर्भाव होने लगता है।नकारात्मक सोच बिल्कुल दूर हो जाती है।
10 -- पारिवारिक सुख शान्ति के लिए भी यह रुद्राक्ष बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निर्वाह करता है।
11 -- यह रुद्राक्ष एक सुरक्षा कवच की तरह काम करता है।इसे धारण करने पर व्यक्ति के ऊपर बाह्य एवं नकारात्मक ऊर्जा का दुष्प्रभाव नही पडेगा।
12 --इस रुद्राक्ष को धारण करने से मनुष्य की बौद्धिक क्षमता एवं स्मरण शक्ति का बहुत अधिक विकास होता है।विशेषकर बुढापे मे जब भूलने की आदत बन जाये तब इस रुद्राक्ष को अवश्य धारण करना चाहिए ।
13 -- इस रुद्राक्ष को धारण करने मनुष्य को समाज मे मान सम्मान और सहयोग की प्राप्ति होती है।
14 -- यह रुद्राक्ष बृहस्पति ग्रह से सम्बन्धित होता है।अतः जिनकी कुण्डली मे बृहस्पति कमजोर हो आथवा अनिष्टकारी हो ; उन्हें पंचमुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए ।इसे धारण करने मात्र से ही बृहस्पति कृत सभी  कष्ट दूर हो जाते हैं।
15 -- बृहस्पति से सम्बन्धित होने के कारण धनु एवं मीन राशि वालों को यह रुद्राक्ष विशेष शुभदायक होता है।

धारण करने की विधि ---
     रुद्राक्ष धारण करने के लिए श्रावण का महीना सर्वश्रेष्ठ होता है  अथवा किसी भी महीने मे सोमवार प्रदोष  तेरस पूर्णिमा आदि को धारण करना चाहिए ।प्रातः स्नानादि से निवृत्त होकर रुद्राक्ष को किसी पात्र मे रखकर गोदुग्ध पंचामृत गंगाजल आदि से स्नान कराओ ।उसके बाद  ऊँ ह्रीं नमः  इस मंत्र का न्यूनतम एक माला जप करके रुद्राक्ष धारण करना चाहिए ।अथवा ऊँ नमः शिवाय का जप करो ।

Wednesday, 29 January 2020

चार मुखी रुद्राक्ष -- डाॅ कृष्ण पाल त्रिपाठी

         पौराणिक मान्यता के अनुसार रुद्राक्ष के जितने भी भेद हैं वे सबका सब परम पवित्र और पाप नाशक हैं।परन्तु प्रत्येक रुद्राक्ष की अपनी कुछ निजी विशेषतायें होती हैं जो अन्य रुद्राक्षों से उसे अलग करती हैं।इसी प्रकार चार मुखी रुद्राक्ष भी सामान्य विशेषताओं के अतिरिक्त कुछ विशिष्ट विशेषताओं से संयुक्त होता है।           महा शिव पुराण के अनुसार चार मुखी रुद्राक्ष को साक्षात्  ब्रह्मा जी का स्वरूप माना जाता है ।यह ब्रह्म हत्या सदृश जघन्य पाप से भी मुक्ति दिलाने वाला है।इसके दर्शन और स्पर्श से शीघ्र ही धर्म अर्थ काम और मोक्ष -- इन चारों पुरुषार्थों की प्राप्ति हो जाती है ---
       चतुर्वक्त्रः स्वयं ब्रह्मा नरहत्यां व्यपोहति ।
       दर्शनात् स्पर्शनात् सद्यश्चतुर्वर्गफलप्रदः ।।

धारण करने से लाभ  ---
      चार मुखी रुद्राक्ष धारण करने से मनुष्य को असंख्य लाभ होते हैं परन्तु यहाँ पर कुछ प्रमुख लाभों का उल्लेख किया जा रहा है  --
1 -- चार मुखी रुद्राक्ष अत्यन्त पवित्र होता है।इसे धारण करने पर यह जैसे ही हृदय को स्पर्श करता है , वैसे ही मनुष्य का हृदय धार्मिक भावनाओं से ओत-प्रोत हो जाता है।उसके मन मे बसी हुई सभी दुर्भावनायें एवं वासनायें समाप्त हो जाती हैं।उसका हृदय अत्यन्त पवित्र एवं निष्कलुष हो जाता है ।
2 -- इसे धारण करने से मनुष्य के मुख मण्डल की आभा बढ़ जाती है और शरीर अत्यन्त कान्तिमान बन जाता है।
3 -- चार मुखी रुद्राक्ष मानसिक तनाव चिन्ता आदि को दूर करने के लिए बहुत उपयुक्त होता है।
4 -- चार मुखी रुद्राक्ष धारण करने से मनुष्य के वःश की वृद्धि होती है।जिन लोगों के बच्चे नही हो रहे हैं उन्हें चार मुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए ।
5 -- यह रुद्राक्ष छात्रों ; अध्यापकों ; साहित्यकारों ; प्रतियोगी छात्रों एवं शोधकार्य मे लगे लोगों को अवश्य धारण करना चाहिए ।जिन विद्यार्थियों का मन पढ़ाई मे न लगता हो अथवा जो मन्द बुद्धि वाले हों ; उन्हें चार मुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए ।इसको धारण करने से स्मरण शक्ति बहुत अधिक बढ़ जाती है।अतः जिन्हें भूलने की आदत हो उन्हे इस रुद्राक्ष को अवश्य धारण करना चाहिए ।
      इसके धारण करने मात्र से ही विद्या बुद्धि तथा वीवेक शक्ति का उल्लेखनीय विकास होता है।इसे धारण करने से ज्ञान विज्ञान ज्योतिष धर्म शास्त्र आदि के प्रति रुचि जागृत होती है और थोड़ा प्रयास करने पर इन क्षेत्रो मे आशातीत सफलता मिलती है ।
6 -- मानसिक एकाग्रता बढ़ाने मे इस रुद्राक्ष की अहं भूमिका होती है।अतः जो लोग किसी महत्वपूर्ण अनुसंधान मे लगे हों अथवा योजना निर्माण का कार्य करते हों ; उनके लिए यह रुद्राक्ष बहुत उपयोगी है ।
7 -- यह रुद्राक्ष तर्क शक्ति को बढ़ाने तथा संरचनात्मक क्षमता को विकसित करने मे महत्वपूर्ण योगदान करता है।अतः वकील जज आदि को इस रुद्राक्ष को अवश्य धारण करना चाहिए ।
8 -- स्वास्थ्य संरक्षण और संवर्धन की दृष्टि से भी इस रुद्राक्ष का बहुत अधिक महत्व है।इसे धारण करने से मिर्गी आदि सभी प्रकार के मानसिक रोग  ; मस्तिष्क विकार ; पेट मे गैस बनना ; आँतों से सम्बन्धित सभी रोग ; लकवा ; शरीर - दर्द ; त्वचा रोग ; पक्षाघात  ; पीत ज्वर ; दमा ; नासिका सम्बन्धी रोग  ; वाणी विकार आदि सभी रोग ठीक हो जाते हैं।
9 -- चार मुखी रुद्राक्ष मे रोग शोक और बाधाओं को नष्ट करने की अभूतपूर्व क्षमता होती है।इसलिए यथा संभव सभी लोगों को इसे धारण करना चाहिए ।
10 -- इस रुद्राक्ष को धारण करने मनुष्य की वाणी का प्रभाव बहुत अधिक बढ़ जाता है।उसकी वाणी की मधुरता के कारण व्यवहार क्षेत्र की बढ़ोत्तरी होती है।वह दूसरों को भी अपना बनाने की कला मे अत्यन्त निपुण हो जाता है।
11 -- यह रुद्राक्ष बुध ग्रह से सम्बन्धित होता है।इसलिए मिथुन तथा कन्या लग्न वाले जातकों को चार मुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए ।यह वृष तुला मकर तथा कुम्भ लग्न वालों के लिए भी लाभदायक होता है।
12 -- आर्थिक विकास के लिए भी चार मुखी रुद्राक्ष बहुत शुभ प्रभाव डालता है।इसे धारण करने से मनुष्य वाणिज्य व्यापार व्यवसाय नौकरी आदि मे बहुत अधिक प्रगति करता है।
13 -- चार मुखी रुद्राक्ष मे पन्ना रत्न के गुण पाये जाते हैं।अतः जिन लोगों की कुण्डली मे बुध कष्टदायक हो।उन्हें चार मुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए ।
14 -- कलाकारों को भी चार मुखी रुद्राक्ष बहुत महत्वपूर्ण सफलता दिलाता है।

धारण करने की विधि --
    अन्य रुद्राक्षों की भाँति इसे भी किसी बर्तन मे रखकर जल गाय के दूध पंचामृत गंगाजल आदि से स्नान कराओ ।फिर पुष्प अक्षत चन्दन धूप दीप नैवेद्य आदि अर्पित करो ।बाद मे  ऊँ ह्रीं नमः  इस मंत्र का न्यूनतम एक माला जप करने के बाद चार मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए ।

Tuesday, 28 January 2020

तीन मुखी रुद्राक्ष -- डाॅ कृष्ण पाल त्रिपाठी

        यह तो सर्व विदित है कि सभी रुद्राक्ष अत्यन्त पवित्र ; पुण्यदायक एवं कल्याणकारी होते हैं।परन्तु प्रत्येक रुद्राक्ष की अपनी कुछ निजी विशेषतायें होती हैं ; जो अन्य रुद्राक्षों मे दुर्लभ होती है ।तीन मुखी रुद्राक्ष भी बहुत महत्वपूर्ण होता है।इसमे असंख्य ऐसी विशेषतायें विद्यमान हैं जो इसकी महत्ता को प्रदर्शित करती हैं।शास्त्रीय मान्यता के अनुसार तीन मुखी रुद्राक्ष को त्रिदेवों अर्थात् ब्रह्मा  ; विष्णु तथा महेश का प्रतीक माना जाता है ।इसमे इन तीनों देवताओं का निवास होता है ।इसे तीनों अग्नियों अर्थात् गार्हपत्य ; आह्वनीय तथा दक्षिणाग्नि का स्वरूप भी माना जाता है ।ये विशेषतायें इसकी महत्ता मे चार चाँद लगा देती हैं।
      महा शिव पुराण मे तीन मुखी रुद्राक्ष की बहुत अधिक प्रशंसा की गयी है ।इसके अनुसार तीन मुखी रुद्राक्ष सदा साक्षात् साधन का फल देने वाला है ।उसके प्रभाव से सारी विद्यायें प्रतिष्ठित हो जाती हैं ---
      त्रिवक्त्रो यो हि रुद्राक्षः साक्षात्साधनदः सदा।
      तत्प्रभावाद्भवेयुर्वै विद्याः सर्वाः प्रतिष्ठिताः ।।

तीन मुखी रुद्राक्ष से लाभ  ---
     तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करने से मनुष्य को असंख्य लाभ होते हैं।मै यहाँ पर कुछ प्रमुख लाभों की चर्चा कर रहा हू --
1 -- तीन मुखी रुद्राक्ष मे त्रिदेवों का वास होता है।इसलिए इसे धारण करने पर मनुष्य को उन तीनों की कृपा एवं आशीर्वाद प्राप्त हो जाता है।
2 -- तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करने से मनुष्य को सभी साधनों का फल स्वयमेव प्राप्त हो जाता है ।
3 -- इसे धारण करने से मनुष्य के अन्दर सभी विद्यायें स्वयं ही प्रतिष्ठित हो जाती हैं।
4 -- आर्थिक प्रगति कराने मे भी तीन मुखी रुद्राक्ष की अहं भूमिका मानी गई है।इसलिए जो व्यक्ति इसे धारण करता है ; उसे वाणिज्य व्यापार व्यवसाय नौकरी आदि मे उल्लेखनीय सफलता प्राप्त होती है ।उसे पर्याप्त धनार्जन करने मे सफलता मिलती है ।अतः स्वाभाविक है कि उसकी आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी हो जायेगी ।
5 -- इसे धारण करने से मनुष्य को समाज मे मान सम्मान और समस्त ऐश्वर्यों की प्राप्ति हो जाती है।
6 -- तीन मुखी रुद्राक्ष को जो व्यक्ति धारण करता है उसकी आत्मा शुद्ध एवं सशक्त हो जाती है।उसके शरीर मे नवीन ऊर्जा का संचार होने लगता है।
7 -- स्वास्थ्य संरक्षण और संवर्धन की दृष्टि से भी तीन मुखी रुद्राक्ष का बहुत अधिक महत्व है।इसे धारण करने से पीलिया ; चेचक ; उच्च रक्तचाप  ; मधुमेह आदि रोगों से मुक्ति मिल जाती है ।
8 -- तीन मुखी रुद्राक्ष मे अग्नि तत्व की प्रधानता होती है ।इसलिए यह जठराग्नि को उद्दीप्त करने मे महत्वपूर्ण योगदान करता है।अतः इसे धारण करने से अपच ; मन्दाग्नि आदि सभी प्रकार के उदर विकार समूल नष्ट हो जाते हैं।
9 -- इसे धारण करने से मनुष्य के अन्दर तेज एवं बल की अभिवृद्धि होती है।
10 -- यह रुद्राक्ष मनुष्य के मन को पवित्र करके आपराधिक प्रवृत्तियों से मुक्त कर देता है।
11 -- जिन लोगों को जीवन मे असफलताओं का सामना करना पड़ रहा हो और वे निराश हो चुके हों ; उन्हें तीन मुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए ।इसे धारण करने से उन्नति का नया मार्ग बनेगा अथवा पुराने संसाधनों के सहयोग से अपेक्षित सफलता प्राप्त करने लगेगा।
12 -- तीन मुखी रुद्राक्ष अग्नि स्वरूप माना गया है।इसलिए जो व्यक्ति इसे धारण करता है ; उसके शरीर के सभी विकार भस्म हो जाते हैं।उसका शरीर पूर्णतः शुद्ध  ;  निर्मल एवं निष्कलुष हो जाता है।
13 -- तीन मुखी रुद्राक्ष मंगल ग्रह से सम्बन्धित होता है।इसलिए जिनकी कुण्डली मे मंगल कमजोर या अनिष्टकारी हो ; उन्हें तीन मुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए ।इससे मंगल मजबूत एवं शुभ फलदायक बन जाता है।
14 -- तीन मुखी रुद्राक्ष मेष एवं वृश्चिक लग्न वाले जातकों को अवश्य धारण करना चाहिए ।इससे उनका लग्नेश सबल बन कर अपेक्षित शुभ फल प्रदान करने लगेगा।
15 -- जिन लोगों को अपने जन्म लग्न की जानकारी न हो तो ऐसे मेष राशि तथा वृश्चिक राशि वाले लोगों को भी तीन मुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए ।यह उनके लिए बहुत लाभदायक सिद्ध होगा।
16 -- तीन मुखी रुद्राक्ष व्यक्ति को स्वस्थ सुखी और समृद्ध बनाता है।इसलिए सभी लोगों को इसे धारण करना चाहिए ।
17 -- खेलकूद मे सफलता प्राप्त करने के लिए तीन मुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए ।
18 -- तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करने से मनुष्य की हर प्रकार की चिन्ता एवं तनाव समाप्त हो जाता है।
19 -- विद्या बुद्धि की वृद्धि के लिए भी तीन मुखी रुद्राक्ष बहुत महत्वपूर्ण होता है।इसको धारण करने से व्यक्ति शिक्षा के क्षेत्र मे उत्तम सफलता प्राप्त करता है।
20 -- नौकरी मे होने वाली परेशानियों को दूर करने के लिए भी तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करना बहुत शुभ फल दायक होता है।
21 -- तीन मुखी रुद्राक्ष मनुष्य को अपवादों से बचाता है।अतः जिनके ऊपर झूठे लाञ्छन लगे हों अथवा जिनके पीछे षड़यंत्र होने की संभावना हो ; उन्हें तीन मुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए ।

धारण करने की विधि  ---
       तीन मुखी रुद्राक्ष को श्रावण मास मे अथवा अन्य महीनो मे सोमवार या प्रदोष तेरस पूर्णिमा आदि तिथियों मे धारण करना चाहिए ।प्रातः स्नानादि से निवृत्त होकर भगवान शिव जी की पूजा करें उसके बाद किसी बर्तन मे रुद्राक्ष को गाय के दूध  पंचामृत गंगाजल आदि से स्नान कराओ ।चन्दन अक्षत धूप दीप नैवेद्य आदि अर्पित करो ।उसके बाद " ऊँ क्लीं नमः " इस मंत्र का एक माला जप करके रुद्राक्ष को धारण करना चाहिए ।

Monday, 27 January 2020

दो मुखी रुद्राक्ष -- डाॅ कृष्ण पाल त्रिपाठी

       सामान्य रूप से सभी रुद्राक्ष अत्यन्त पवित्र एवं पाप-नाशक होते हैं परन्तु प्रत्येक रुद्राक्ष की कुछ अपनी निजी विशेषतायें होती हैं ; जो उसे अन्य रुद्राक्षों की अपेक्षा विशिष्ट बनाता है ।दो मुखी रुद्राक्ष भी असंख्य विशेषताओं से युक्त होता है ।इसे भगवान शिव जी एवं माता पार्वती जी का स्वरूप माना जाता है ।इसके दोनो मुख भगवान शिव जी तथा माता पार्वती जी के प्रतीक के रूप मे विख्यात है ।इस रुद्राक्ष मे भगवान शिव जी तथा माता पार्वती जी का सदैव निवास रहता है ।
      दो मुखी रुद्राक्ष बहुत महत्वपूर्ण एवं कल्याणकारी होता है ।महा शिव पुराण मे इसे देवदेवेश्वर कहा गया है।यह सम्पूर्ण कामनाओं तथा फलों को प्रदान करने वाला है ।यह गोहत्या सदृश जघन्य पापों को भी नष्ट करने वाला है  --
      द्विवक्त्रो    देवदेवेशः   सर्वकामफलप्रदः।
      विशेषतः स रुद्राक्षो गोवधं नाशयेद् द्रुतम्।।
दो मुखी रुद्राक्ष के लाभ ----
             वैसे तो दो मुखी रुद्राक्ष असंख्य विशेषताओं से विभूषित है।इसे धारण करने से अनेक प्रकार के लाभ भी होते हैं परन्तु यहाँ पर कुछ विशिष्ट लाभों की ओर संकेत करने का प्रयास किया जा रहा है --
1 -- दो मुखी रुद्राक्ष मे शिव एवं शक्ति दोनो का निवास होता है।इसलिए जो व्यक्ति इसे धारण करता है ; भगवान शिव जी एवं माता पार्वती जी का शुभाशीष स्वतः ही प्राप्त हो जाता है।
2 -- दो मुखी रुद्राक्ष धारण करने से मनुष्य की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी हो जाती है।यदि उसके ऊपर कर्ज का बोझ होगा तो वह भी समाप्त हो जायेगा।इस रुद्राक्ष की कृपा से व्यक्ति विभिन्न संसाधनों के द्वारा पर्याप्त धनार्जन करता है और उस धन से उधार लिये गये पैसे वापस करके कर्जमुक्त हो जाता है।
3 -- दो मुखी रुद्राक्ष धारण करने से स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है।जो व्यक्ति मोटापा से परेशान हों ; उन्हें दो मुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए ।इसी प्रकार फेफड़े से सम्बन्धित बीमारी के लिए यह रुद्राक्ष रामबाण की तरह अमोघ औषधि है ।
4 -- दाम्पत्य जीवन को मधुर एवं सुखमय बनाने मे दो मुखी रुद्राक्ष अहं भूमिका मानी जाती है।इसलिए जो व्यक्ति दो मुखी रुद्राक्ष धारण करता है उसके पति-पत्नी के बीच किसी प्रकार के मतभेद या विवाद की संभावना नही रहती है ।यदि किसी पति-पत्नी के बीच कोई विवाद उत्पन्न हो गया हो तो उस व्यक्ति को दो मुखी रुद्राक्ष अविलम्ब धारण करना चाहिए ।इसे धारण करते ही विवाद समाप्त हो जायेगा और दोनो मे प्रगाढ़ प्रेम उत्पन्न हो जायेगा ।
5 -- दो मुखी रुद्राक्ष केवल पति-पत्नी के बीच ही नहीं ; बल्कि समस्त द्विपक्षीय सम्बन्धों को मधुर बनाने मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है ।यह पिता-पुत्र  ; भाई-भाई ; भाई-बहन  ; गुरु -शिष्य  ; बिजनेस-पार्टनर आदि द्विपक्षीय सम्बन्धों को मधुर से मधुरतम बना देता है।
6 -- दो मुखी रुद्राक्ष बहुत सम्मान वर्धक होता है।इसलिए जो व्यक्ति इसे धारण करता है ; उसे समाज मे यश ; कीर्ति ; मान-सम्मान  ; ऐश्वर्य आदि की प्राप्ति अवश्य होती है ।
7 -- दो मुखी रुद्राक्ष धारण करने भूत-प्रेत की बाधा समाप्त हो जाती है।
8 -- रूप -सौन्दर्य की वृद्धि के लिए भी दो मुखी रुद्राक्ष बहुत महत्वपूर्ण होता है ।अतः जो व्यक्ति दो मुखी रुद्राक्ष धारण कर लेता है  ; उसका रूप-सौन्दर्य अपेक्षित मात्रा मे निखर उठता है ।
9 -- दो मुखी रुद्राक्ष धारण करने से व्यक्ति की वाक्शक्ति की वृद्धि होती है।इसलिए वक्ताओं ; अध्यापकों ; धर्मोपदेशकों ; नेताओं आदि को दो मुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए ।
10 -- दो मुखी रुद्राक्ष को सर्वकामफलप्रद कहा गया है।अतः जो व्यक्ति इसे धारण कर लेता है ; उसकी समस्त कामनायें पूर्ण हो जाती हैं।उसके जीवन मे किसी प्रकार का अभाव नही रहता है ।वह सभी अभीष्टों को प्राप्त कर लेता है ।
11 -- दो मुखी रुद्राक्ष चन्द्रमा के अधिकार क्षेत्र मे आता है।इसलिए जो व्यक्ति इसे धारण करता है ; उसके मन-मस्तिष्क मे सदैव शान्ति बनी रहती है ।कर्क राशि वालो को दो मुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए ।
 धारण करने की विधि ---
        दो मुखी रुद्राक्ष धारण करने के लिए सोमवार  ; प्रदोष  ; त्रयोदशी  ; पूर्णिमा आदि का दिन विशेष उपयुक्त माना जाता है ।श्रावण का महीना बहुत शुभ होता है ।महा शिवरात्रि का पर्व तो इसके लिए सर्वाधिक उपयुक्त मुहूर्त माना जाता है ।
        अतः उपयुक्त मुहूर्त मे प्रातः काल स्नान आदि से निवृत्त होकर किसी कटोरी मे दो मुखी रुद्राक्ष रखकर गोदुग्ध  ; पंचामृत ; गंगा जल ; शुद्ध जल आदि से स्नान कराओ।फिर चन्दन अक्षत धूप दीप नैवेद्य आदि अर्पित करो।उसके बाद ऊँ देवदेवेश्वराय नमः का न्यूनतम एक माला जप करो ।हो सके तो एक माला ऊँ नमः शिवाय का जप करो ।इसके बाद उसे धारण कर लो।

Saturday, 25 January 2020

2020 मे वसन्त पंचमी कब होगी

       सामान्य रूप से प्रति वर्ष माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को पूर्वाह्न काल मे वसन्त पंचमी का पावन पर्व मनाया जाता है ।परन्तु इस वर्ष दो दिन पूर्वाह्न काल मे पंचमी तिथि होने के कारण मतभेद की स्थिति उत्पन्न हो गयी है ।इस वर्ष दिनांक 29 जनवरी बुधवार को प्रातः 08:27 बजे से पंचमी तिथि लग जायेगी और 30 जनवरी 2020 गुरुवार को प्रातः 10:36 बजे तक विद्यमान रहेगी।इसलिए असमंजस की स्थिति आ गयी कि अब किस दिन वसन्त पंचमी मनायी जाय।
        इस मतभेद का निराकरण करने के लिए " परत्रैव पूर्वाह्न व्याप्तौ परा " इस सिद्धान्त का आश्रय ग्रहण करना चाहिए ।इसके अनुसार जब दोनो दिन पूर्वाह्न काल मे व्याप्त हो तब परा अर्थात् दूसरे दिन की पंचमी को ग्रहण करना चाहिए ।इसलिए इस वर्ष दिनांक 30 जनवरी 2020 दिन गुरुवार को ही वसन्त पंचमी मनायी जायेगी ।उसी दिन गंगा आदि पवित्र नदियों मे स्नान ; सरस्वती पूजन आदि कार्य भी सम्पन्न होंगे।