महा शिव पुराण के अनुसार सप्त मुखी रुद्राक्ष अनंग नाम से प्रसिद्ध है ।इसे धारण करने से दरिद्र भी ऐश्वर्यशाली बन जाता है ---
सप्तवक्त्रो महेशानि ह्यनङ्गो नाम नामतः।
धारणात्तस्य देवेशि दरिद्रोऽपीश्वरो भवेत् ।।
धारण करने से लाभ ---
1 -- सात मुखी रुद्राक्ष की सर्वाधिक उल्लेखनीय विशेषता यह है कि इसे धारण करने मात्र से ही मनुष्य को माता महालक्ष्मी की असीम अनुकम्पा प्राप्त हो जाती है।लक्ष्मी जी उसके घर मे स्थायी रूप से निवास करने लगती हैं।अतः स्वाभाविक है कि वह व्यक्ति अत्यन्त धनी और ऐश्वर्यशाली बन जायेगा।
2 -- इसे धारण करने पर व्यक्ति की हर प्रकार की आर्थिक समस्याओ का समाधान मिल जाता है।धनार्जन करने के नवीन मार्ग खुल जाते हैं।वाणिज्य व्यापार व्यवसाय का विकास और विस्तार होने लगता है।विभिन्न स्रोतों के द्वारा अथाह धन लाभ होने लगता है।उसका आर्थिक पक्ष अत्यन्त सबल बन जाता है।फलतः धन सम्बन्धी चिन्ता बिल्कुल समाप्त हो जाती है।उसका कोई भी कार्य धनाभाव के कारण नही रुकता है।अतः सब लोगों को चाहिए कि वे कम से कम एक सप्तमुखी रुद्राक्ष गले मे धारण कर लें और एक सप्तमुखी रुद्राक्ष अपने पूजा स्थल पर स्थापित करके नित्य पूजन करें।इससे पूरा परिवार आर्थिक संकट से उबर जायेगा।परिवार का खर्च कम हो जायेगा और आमदनी निरन्तर बढ़ती जायेगी।
3 -- नौकरी करने वाले व्यक्तियों के लिए भी यह रुद्राक्ष बहुत उपयोगी है।इसे धारण करने से नौकरी उन्नति और मान सम्मान की वृद्धि होती है।अतः नौकरी करने वाले सभी लोगों को सात मुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए; जिससे उन्हें उनके सम्बन्धित क्षेत्र मे उत्तमोत्तम सफलता प्राप्त हो सके।
4 -- यह रुद्राक्ष अपनी ओर सुख समृद्धि सन्तोष खुशी आदि को आकर्षित करने वाला है।अतः इसे धारण करने वाले को ये सभी चीजें बहुत आसानी से प्राप्त हो जाती हैं।
5 -- यह रुद्राक्ष दुर्भाग्य को दूर करने तथा सौभाग्य की वृद्धि करने वाला है।अतः जो व्यक्ति इसे धारण करता है ; वह परम सौभाग्यशाली बन जाता है ।
6 -- यह रुद्राक्ष पारस्परिक सम्बन्धों मे मधुरता लाने वाला है।अतः इसे धारण करने पर मनुष्य के विवाद समाप्त हो जाते हैं।पारस्परिक सम्बन्ध अत्यन्त मधुर एवं प्रगाढ़ बन जाते हैं।
7 -- इसको धारण करने से मन मे सद्भावों का प्रादुर्भाव होने लगता है।उसके मन मस्तिष्क से दुर्भाव दूर हो जाते हैं।इससे मन मे शान्ति बनी रहती है।
8 -- इसे धारण करने से कोर्ट कचेहरी के मामलों मे मनचाही सफलता मिलती है।अतः जो लोग इस दृष्टि से परेशान हों उन्हें सप्तमुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए ।
9 -- यह रुद्राक्ष बहुत प्रभावशाली होता है।इसे धारण करने से मनुष्य को धन सम्पदा मान सम्मान यश कीर्ति ऐश्वर्य आदि सब कुछ आसानी से मिल जाता है।
10 -- इसे धारण करने पर व्यक्ति सर्प भय से मुक्त हो जाता है।
11 -- इस रुद्राक्ष मे सप्त मातृकाओं का निवास होता है।अतः इसे धारण करने से व्यक्ति को सर्वविध सांसारिक सुखों की प्राप्ति बहुत आसानी से हो जाती है।
12 -- यह रुद्राक्ष मनुष्य को दीर्घायु बनाने वाला तथा अकाल मृत्यु से रक्षा करने वाला है।अतः इसे धारण करने से मनुष्य हर प्रकार की दुर्घटनाओं से बचा रहता है।इसलिए जिन लोगों को अधिक यात्रा करनी हो अथवा जो लोग मशीनरी कार्यों से सम्बन्धित हों उन्हें सप्तमुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए ।
13 -- इसमे सप्तर्षियों का आशीर्वाद सन्निहित होता है।अतः इसे धारण करने से शरीर मे सप्तधातुओं की रक्षा होती है।
14 -- स्वास्थ्य की दृष्टि से भी इस रुद्राक्ष का बहुत अधिक महत्व है।इसे धारण करने से स्नायु तंत्र से सम्बन्धित सभी रोग ठीक हो जाते हैं।साथ ही मानसिक रोग ; गठिया वायु ; हड्डी एवं मांसपेशियों की पीड़ा ; अस्थमा आदि अनेक रोगों से छुटकारा मिल जाता है ।अतः स्वास्थ्य संरक्षण एवं संवर्धन के लिए सभी लोगों को सप्तमुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए ।
15 -- सप्तमुखी रुद्राक्ष शनि ग्रह से सम्बन्धित होता है।अतः जो लोग शनि की साढ़ेसाती ढैया अथवा दशान्तर्दशा से पीड़ित हों उन्हें सप्तमुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए ।
16 -- जिन लोगों का जन्म मकर या कुम्भ लग्न मे हुआ हो अथवा जिनकी कुण्डली मे शनि कष्टदायक हो उन्हें भी सप्तमुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए ।यदि जन्म लग्न की जानकारी न हो तब मकर और कुम्भ राशि वालो को भी सप्तमुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए ।
धारण करने की विधि ---
रुद्राक्ष धारण करने के लिए श्रावण का महीना सर्वश्रेष्ठ होता है ।अथवा किसी भी महीने मे सोमवार प्रदोष तेरस पूर्णिमा आदि को धारण करना चाहिए ।प्रातः स्नानादि से निवृत्त होकर किसी कटोरी मे रुद्राक्ष को गाय के दूध पंचामृत गंगाजल आदि से स्नान कराओ ।फिर ऊँ हुं नमः इस मंत्र का न्यूनतम एक माला जप करने के बाद रुद्राक्ष धारण करना चाहिए ।अथवा ऊँ नमः शिवाय जपते हुए भी धारण कर सकते हैं।