Wednesday, 11 November 2015

दीपावली

***** दीपावली का पर्व कार्तिक कृष्ण पक्ष अमावस्या को मनाया जाता है।यह अमावस्या प्रदोष काल से लेकर अर्धरात्रि पर्यन्त रहे तो अधिक शुभ होता है।यदि अर्धरात्रि तक न रहे तो प्रदोषकाल मे रहना आवश्यक है।दीपावली का अर्थ है -- दीपानाम् अवलिः -- अर्थात् प्रज्ज्वलित दीपकों की पंक्ति लगाना ही दीपावली है।इस दिन लक्ष्मीपूजन का विशेष महत्व है।इस विषय मे अनेक कथायें प्रचलित हैं।एक कथा के अनुसार कार्तिक कृष्ण पक्ष अमावस्या को अर्धरात्रि के समय लक्ष्मी जी सद् गृहस्थों के घरों मे भ्रमण करने के लिए जाती हैं।उस समय जो घर साफ सुथरा एवं दीपमालिकाओं से सुसज्जित रहता है ; वहीं लक्ष्मी जी स्थायी रूप से निवास करने लगती हैं।इसीलिए घरों की स्वच्छता एवं दीपमालिकाओं की संरचना पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
***** एक अन्य कथा के अनुसार दैत्यराज बलि ने समस्त देवी देवताओं को बन्दीगृह मे बन्धक बना रखा था।भगवान वामन ने कार्तिक कृष्णा अमावस्या को ही लक्ष्मी सहित समस्त देवों को बन्धन - मुक्त कराया था।इस प्रकार उन लक्ष्मी जी का स्वागत एवं पूजन कर उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए दीपावली का पर्व मनाया जाता है।प्रायः सभी लोग घरों को स्वच्छ करके दीपमालिकाओं से सुसज्जित करते हैं ; जिससे लक्ष्मी जी प्रसन्न होकर वहीं निवास करने लगें।
***** कुछ लोगों का कथन है कि भगवान श्रीराम ने विजय दशमी के दिन लंका - विजय की थी।उसके बाद जब अयोध्या वापस हुए तो उसी उपलक्ष्य मे पूरे नगर को प्रज्ज्वलित दीपकों के द्वारा सजाया गया था।इसी की स्मृति मे आज भी दीपावली मनायी जाती है।
***** रात्रि के समय लक्ष्मी ; गणेश ; इन्द्र और कुबेर का पूजन करना चाहिए।इसके लिए किसी स्वच्छ एवं शुद्ध स्थान पर अक्षत से अष्टदल कमल बनाकर उसमे उपर्युक्त देवी देवताओं का आवाहन कर षोडशोपचार पूजन करे।नैवेद्य मे उत्तम कोटि के मिष्ठान्न एवं मधुर फल रखना चाहिए।अन्त मे उन सबकी प्रार्थना कर आशीष प्राप्त करना चाहिए।श्रद्धा एवं भक्ति से की गयी पूजा निश्चित रूप से शुभ फलदायिनी होती है।

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