Saturday, 14 November 2015

बाल - दिवस

       स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पं0 जवाहर लाल नेहरू को बच्चों से अत्यधिक प्रेम था।वे जहाँ भी जाते बच्चों से अवश्य मिलते थे।उनके प्रायः सभी कार्यक्रमों मे बच्चों की उपस्थिति अनिवार्य थी।बच्चे भी उनसे बहुत प्रेम करते थे और उन्हें चाचा नेहरू कहकर पुकारते थे।अतः इसी बाल-प्रेम को देखकर नेहरू जी के जन्मदिवस को बाल-दिवस के रूप मे मनाया जाने लगा।
          नेहरू जी के जीवन की अनेक ऐसी घटनायें हैं ; जो उनके अतिशय बालप्रेम का परिचय देती हैं।वे जब प्रधानमंत्री बने तब तीनमूर्ति भवन मे रहते थे।एक बार वे उसके उद्यान मे टहल रहे थे ; तभी उन्हें रोता हुआ एक शिशु दिखायी पड़ा।उसके आस-पास कोई नहीं था।बच्चे के करुण-क्रन्दन को सुनकर नेहरू जी का बाल-प्रेम जागृत हो उठा।वे अपने को रोक नहीं पाये और दौड़कर उसे गोद मे उठा लिया।बच्चे ने रोना बन्द कर दिया और किलकारी मारकर खेलने लगा।इतने मे उसकी मा आ गयी और देखा कि उसका बच्चा नेहरू जी की गोद मे खेल रहा था।उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि एक निर्धन मजदूरिनी के बच्चे को भारत के प्रधानमंत्री अपनी गोद मे उठाये हुए हैं।यह एक घटना उनके बाल-प्रेम को प्रकट करने के लिए पर्याप्त है।
          यद्यपि आज नेहरू जी नहीं हैं ; किन्तु बाल-दिवस के रूप मे मनाया जाने वाला यह पर्व उनके अतिशय बाल-प्रेम की गौरव-गाथा का उन्मुक्त गान कर रहा है।यदि देश के सभी बुजुर्ग एवं गुरुजन उनकी तरह बच्चों से प्रेम करने लगें तो यह धरती स्वर्ग बन जाये।अतः आज बालदिवस के पावन अवसर पर हम लोगों को भी बालप्रेम का सत्संकल्प लेना चाहिए।इससे बच्चों के संरक्षण के साथ साथ देश मे सुख-शान्ति की स्थापना भी होगी।

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