Saturday, 21 November 2015

आशादशमी-व्रत

          सनातन परम्परा मे आशादशमी-व्रत का असीम महत्त्व है।यह व्रत कार्तिक शुक्ल पक्ष दशमी अथवा किसी भी मास की शुक्ला दशमी को किया जाता है।यहाँ आशा का अर्थ पूर्वादि दस दिशायें हैं।इस व्रत मे इन्हीं दस आशादेवियों की पूजा की जाती है।इसीलिए इसे आशादशमी कहा जाता है।

  कथा ---

          प्राचीन काल मे निषध देश मे नल नामक राजा राज्य करते थे।उनके भाई पुष्कर ने उन्हें जुए मे पराजित कर राजपाट जीत लिया।नल अपनी पत्नी दमयन्ती के साथ राज्य छोड़कर वन की ओर चल पड़े।एक दिन निर्जन वन मे सोती हुई दमयन्ती को छोड़कर वे कहीं चले गये।निद्रा से जगने पर दमयन्ती ने नल को न देखा तो उसे बहुत दुःख हुआ।वह भटकती हुई चेदिदेश के राजमाता के पास पहुँच गयी।बाद मे एक ब्राह्मण के माध्यम से अपने माता-पिता के पास पहुँची।वहाँ उसने एक सुयोग्य ब्राह्मण से किसी ऐसे व्रत के विषय मे पूछा ; जिसे करने से उसके पति पुनः मिल जायें।ब्राह्मण ने उन्हें आशादशमी-व्रत करने का निर्देश दिया।दमयन्ती ने उस व्रत को किया और अपने पति को पुनः प्राप्त कर लिया।उसी समय से इस व्रत का प्रचलन हो गया।

व्रत-विधि ---

          व्रती को चाहिए कि वह दशमी को स्नानादि क्रियाओं से निवृत्त होकर आंगन अथवा किसी शुद्ध स्थान पर शुभासन पर पूर्वाभिमुख होकर व्रत का संकल्प ले।फिर जौ के आटा से इन्द्र आदि दिक्पालों के शस्त्रास्त्रों सहित सुन्दर स्वरूप की रचना करे।उन्हें ही ऐन्द्री आदि दस दिशादेवियों के रूप मे मानकर उनका षोडशोपचार पूजन करे।सभी को पृथक - पृथक घृतपूरित नैवेद्य ; ऋतुफल आदि समर्पित कर दीपदान करे।उसके बाद अपने कार्य की सिद्धि के लिए निम्नलिखित मंत्र से श्रद्धा-भक्ति सहित प्रार्थना करे --

आशाश्चाशाः सदा सन्तु सिद्ध्यतां मे मनोरथाः।
भवतीनां प्रसादेन सदा कल्याणमस्त्विति ।।

       इसप्रकार पूजन करके ब्राह्मण को दक्षिणा प्रदान कर स्वयं प्रसाद ग्रहण करे।इस व्रत को एक वर्ष तक अथवा मनोरथपूर्ति तक करना चाहिए।

माहात्म्य ---

        यह व्रत अनन्त पुण्यफलदायी है।इसे करने से राज्यच्युत राजा अपना राज्य पुनः प्राप्त कर लेता है।कृषक कृषिकर्म मे और व्यापारी व्यापार मे अत्यधिक लाभ पाता है।पुत्रार्थी को पुत्र ; धनार्थी को धन और सुखार्थी को सुख की प्राप्ति होती है।कन्या श्रेष्ठ वर और रोगी आरोग्य प्राप्त करता है।इस प्रकार यह व्रत सकल मनोरथों की सिद्धि करने वाला है।

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