Tuesday, 17 November 2015

वह्नि-महोत्सव

         सनातन परम्परा मे वह्नि-महोत्सव का पर्याप्त महत्त्व है।यह पर्व तभी मनाया जाता है जब कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मंगलवार पड़ता है।सौभाग्यवश आज दिनांक 17-11-2015 को यह शुभ संयोग विद्यमान है।इसलिए आज वह्नि-महोत्सव आयोजित करने का अवसर उपलब्ध है।
         भक्त को चाहिए कि वह प्रातः स्नानादि दैनिक क्रियाओं से निवृत्त होकर पूजन का संकल्प ले।उसके बाद अग्निदेव एवं स्वामिकार्तिकेय का आवाहन कर उनका षोडशोपचार पूजन करे।तत्पश्चात् दक्षिणाभिमुख होकर एक शुद्ध पात्र मे जल भरकर उसमे घृत ; मधु एवं पुष्प डालकर निम्नलिखित मंत्र से अर्घ्य प्रदान करे --

सप्तर्षिदारज स्कन्द सेनाधिप महाबल ।
रुद्रोमाग्निज षड्वक्त्र गङ्गागर्भ नमोऽस्तु ते।।

         आज भोज्यपदार्थों के दान का भी पर्याप्त महत्त्व है।अतः न्यूनतम एक व्यक्ति के भोजन के लिए आटा ; दाल ; चावल आदि वस्तुयें किसी सुपात्र ब्राह्मण को दान दें।दान देने के पश्चात् स्वयं शुद्ध एवं सात्विक आहार ग्रहण करें।रात्रि मे भूशयन करें।इस प्रकार इस सुकृत्य के परिणाम स्वरूप व्यक्ति के सभी रोग एवं शोक नष्ट हो जाते हैं।वह स्वस्थ एवं सानन्द जीवन व्यतीत करने मे सक्षम हो जाता है।

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