Wednesday, 13 July 2016

पुत्रद रविवार व्रत -- डाॅ कृष्ण पाल त्रिपाठी

           रविवार व्रत का बहुत अधिक महत्त्व है।किसी विशिष्ट कामना की पूर्ति हेतु विशेष रविवार का व्रत करना चाहिए।इन्हीं विशिष्ट व्रतों मे पुत्रद रविवार व्रत भी है।जिस रविवार को हस्त नक्षत्र हो ; उसे पुत्रद रविवार कहा जाता है।
विधि ---
           व्रती प्रातः स्नानादि नित्यकर्म से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प ले।भगवान सूर्यनारायण को अर्घ्य देकर लाल चन्दन ; करवीर-पुष्प ; धूप दीप नैवेद्य आदि से पूजन करे।फिर दो ब्राह्मणों को मगसंज्ञक और तीन को भीमसंज्ञक मानकर विधि पूर्वक पार्वण श्राद्ध करे।बाद मे मध्यम पिण्ड को सूर्य के समक्ष रखकर निम्नलिखित मन्त्र से उसका भक्षण करे --
   स एष पिण्डो देवेश योऽभीष्टस्तव सर्वदा।
   अश्नामि पश्यते तुभ्यं तेन मे संततिर्भवेत्।।
माहात्म्य ---
           इस प्रकार व्रत करने से व्रती को पुत्र-प्राप्ति अवश्य होती है।साथ ही धन-धान्य ; सुख-समृद्धि ; आरोग्य आदि की प्राप्ति होती है।

No comments:

Post a Comment