Wednesday, 13 July 2016

अंगस्फुरण-फल -- डाॅ कृष्ण पाल त्रिपाठी

           मानव-जीवन मे शुभाशुभ शकुनों का बहुत महत्त्व है।इन शकुनों मे अंगस्फुरण ( अंग फड़कने ) का विशेष प्रभाव पड़ता है।ये स्फुरण किसी भावी घटना के सूचक होते हैं।अतः इन्हें जानकर तदनुरूप कार्य करना चाहिए।अशुभ स्फुरण के निवार्णार्थ भगवन्नाम-स्मरण आदि उपाय करना चाहिए।जब पुरुषों के शरीर के दक्षिण भाग मे स्फुरण होता है ; तब शुभफल होता है।परन्तु वाम भाग का स्फुरण अशुभ फलदायक माना जाता है।स्त्रियों के लिए ये फलागम विपरीत होते हैं।अर्थात् उनके लिए बायाँ शुभ और दाहिना अशुभ होता है।यहाँ शरीर के विभिन्न अंगों के फड़कने का फल बताया जा रहा है ---
सिर = पृथ्वी लाभ
ललाट = स्थान-वृद्धि
भौंह और नाक = प्रियजन समागम
नेत्र = सेवक की प्राप्ति
नेत्रों के समीप = धन प्राप्ति
नेत्रों के मध्य = उत्कण्ठा वृद्धि
नेत्र-पलक = विजय
नेत्रापाङ्ग = स्त्री लाभ
कान = प्रिय वार्ता सुनने को मिलती है
नासिक = प्रीति एवं सौख्य की प्राप्ति
निचला ओष्ठ = सन्तान प्राप्ति
कण्ठ = भोग प्राप्ति
दोनो कन्धे = भोग वृद्धि
बाहु = मित्रस्नेह की प्राप्ति
हाथ = धन प्राप्ति
पीठ = पराजय
वक्षस्थल = विजय प्राप्ति
कुक्षि = प्रेम वृद्धि
स्तन = स्त्री से सन्तानोत्पत्ति
नाभि = स्थान-च्युति
आँत = धन प्राप्ति
जानु का संधि भाग = शत्रु से संधि
पैर = स्थान लाभ
पैर का तालु = लाभदायक यात्रा
          इस प्रकार अंगस्फुरण का फल होता है।

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