पूजा-पाठ की दृष्टि से श्रावण मास का विशेष महत्त्व है।यह महीना शिव जी को विशेष प्रिय है।इसलिए इस मास मे शिव-पूजन का विशेष महत्त्व है।पूजन मे रुद्राभिषेक का व्यापक प्रचलन है।गाँव शहर आदि प्रत्येक स्थान पर शिवमन्दिरों मे शिवभक्तों की भारी भीड़ दिखाई देती है।सायंकाल मे शिवालयों मे दीपदान करने से असीम पुण्यफल की प्राप्ति होती है।
इस महीने मे बाबा वैद्यनाथ ; बाबा विश्वनाथ आदि ज्योतिर्लिंगों मे काँवर द्वारा लाये गये जल से अभिषेक करने का असीम महत्त्व है।इसलिए इन मन्दिरों मे पूरे महीने भर काँवरियों की भीड़ लगी रहती है।ये काँवरिये केशरिया बाना धारण किये ; कन्धे पर जल भरी काँवर लादे हुए पैदल दौड़ते हुए सैकड़ों किमी की यात्रा करते हैं।जब ये शिवभक्ति की भावना से ओत-प्रोत होकर बोल-बम का नारा लगाते हैं तो सारा वातावरण गुञ्जायमान हो जाता है।उस समय ऐसा प्रतीत होता है मानो सम्पूर्ण भूमण्डल ही शिवमय हो गया हो।आजकल तो प्रत्येक गाँव और नगर के प्रसिद्ध शिवालयों मे समीपवर्ती गंगा आदि पवित्र नदियों का जल लिए हुए काँवरियों का समूह देखा जा सकता है।
दैनिक पूजन ---
इस महीने मे शिव पूजन की महत्ता है ही ; अन्य देवी-देवताओं के पूजन का भी महत्त्व है ---
रविवार --- श्रावण मास मे प्रत्येक रविवार को मौन होकर गभस्ति नाम से सूर्य-पूजन करना चाहिए।
सोमवार -- सोमवार को शिव-पूजन का विशेष महत्त्व है।
मंगलवार --' श्रावण मास के प्रत्त्येक मंगलवार को मंगलागौरी का पूजन करना चाहिए।
बुधवार --- बुधवार को बुध एवं गुरु का पूजन करने का विधान है।
गुरुवार -- गुरुवार को भी बुध-गुरु का पूजन करना चाहिए।
शुक्रवार --' इस दिन जरा जवन्तिका देवियों का पूजन करने का विशेष महत्त्व है।
शनिवार --- इस दिन भगवान नृसिंह का पूजन करना चाहिए।पीपल वृक्ष की पूजा भी शनिवार को बहुत शुभ फलदायिनी होती है।इस दिन हनुमान जी का पूजन बहुत शुभद होता है।
Wednesday, 20 July 2016
श्रावण मास मे पूजन -- डाॅ कृष्ण पाल त्रिपाठी
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