मंगल व्रतों मे अंगारक चतुर्थी का विशेष महत्त्व है।जब मंगलवार को चतुर्थी तिथि पड़े तब अंगारक चतुर्थी व्रत होता है।
विधि ---
व्रती प्रातः स्नानादि से निवृत्त होकर दिन भर मंगल का स्मरण करे।सायंकाल आँगन मे गोबर से लीप कर सवत्सा गौ एवं वृषभ की मूर्ति का पूजन करे।फिर एक पुरुषाकार मंगल की मूर्ति का पूजन करे।अन्त मे सभी वस्तुयें सुपूजित ब्राह्मण को दान कर दे।
व्रती दिन भर उपवास के बाद रात्रि मे एक बार लवण-रहित भोजन करे।
माहात्म्य ---
इस व्रत को आठ या चार बार करने से व्रती की समस्त कामनायें पूर्ण हो जाती हैं।
Wednesday, 13 July 2016
अंगारक चतुर्थी व्रत -- डाॅ कृष्ण पाल त्रिपाठी
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