गुरु पूर्णिमा का पावन पर्व आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है।इस दिन गुरु-पूजन का विशेष महत्त्व है।प्राचीन काल मे गुरुकुलों मे प्रत्येक विद्यार्थी इस दिन विविध उपचारों द्वारा अपने गुरु का पूजन करता था।आज भी इस पर्व की उतनी ही महत्ता एवं प्रासंगिकता है।
मानव-जीवन मे गुरु का महत्त्व सर्वोपरि है।गुरु ही मनुष्य को महामानव बनने की प्रेरणा एवं प्रोत्साहन देता है।उसके मार्गदर्शन के अभाव मे मनुष्य की वास्तविक प्रगति संभव नहीं है।विश्व भर का ज्ञान-विज्ञान गुरु-कृपा से ही प्राप्त होता है।वही हमें सन्मार्ग पर चलने की प्रेरणा प्रदान कर हमारे निर्मल भविष्य का निर्माण करते हैं।अतः उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का एक पर्व तो होना ही चाहिए।इसलिए हम सबका परम कर्तव्य है कि गुरु पूर्णिमा के अवसर पर अपने गुरु का पूजन करें और उनके प्रति सच्ची कृतज्ञता व्यक्त करें।
हमारे देश मे प्राचीन काल से ही गुरु को ब्रह्मा विष्णु महेश एवं परब्रह्म परमात्मा का स्वरूप माना जाता रहा है।इसी गुरुभक्ति के बल पर ही इस देश की ख्याति देश विदेश मे विस्तीर्ण थी।संसार मे जितने भी महापुरुष हुए हैं ; वे सबका सब गुरुकृपा द्वारा ही आगे बढ़े हैं।इसलिए आज भी गुरु का महत्त्व उतना ही है ; जितना पहले था।अतः इस पावन पर्व पर अपने गुरु का पूजन अवश्य करना चाहिए।उनका शुभाशीष ही हमे उन्नति के चरम शिखर पर पहुँचाने के लिए पर्याप्त है।
Saturday, 16 July 2016
गुरु पूर्णिमा -- डाॅ कृष्ण पाल त्रिपाठी
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