Sunday, 19 June 2016

विचित्र बारात -- डाॅ कृष्ण पाल त्रिपाठी

          शिव जी की बारात जब हिमाचल पुरी पहुँची तब गिरिराज ने उनका दर्शन और सत्कार किया।उसी समय मेना के मन मे भी शिव जी के दर्शन की इच्छा हुई।उन्होंने नारद जी से अनुरोध किया कि मै भी गिरिजा के भावी पति का दर्शन करना चाहती हूँ।उनका कैसा रूप है ; जिन्हें प्राप्त करने के लिए मेरी पुत्री ने कठोर तप किया है।शिव जी ने मेना के अहंकार को भाँप लिया।इसलिए उन्होंने एक लीला करने का मन बनाया।उन्होंने ब्रह्मा और विष्णु से कहा कि आप लोग अन्य देवताओं के साथ हिमालय के द्वार पर चलिए।मै अपने गणों के साथ कुछ देर बाद आ रहा हूँ।उनकी आज्ञानुसार सभी देवता अलग होकर द्वार की ओर चल पड़े।
           इधर मेना अपने सबसे ऊँचे भवन पर खड़ी होकर शिव जी को देखने लगीं।शिव जी ने ऐसी लीला रची ; जिससे मेना के हृदय मे ठेस पहुँचे।उस समय बारात मे सबसे आगे वसु आदि गन्धर्व दिखायी पड़े।उसके बाद यक्ष ; यमराज ; निऋर्ति ; वरुण ; वायु ; कुबेर ; ब्रह्मा ; विष्णु आदि दिखायी पड़े।इन सबके स्वरूप को देखकर मेना बहुत प्रसन्न हुईं।उन्हें आशा थी कि जब बाराती इतने सुन्दर और स्वरूपवान हैं ; तब दूल्हा तो और भी अधिक सुन्दर होगा।
           उसी समय शिव जी अपने गणों के साथ आ गये।उनका स्वरूप बहुत विचित्र एवं अद्भुत था।उनकी सेना और अधिक विचित्र थी।उसमे असंख्य भूत-प्रेत विद्यमान थे।उनमे से कुछ ने बवंडर का रूप धारण कर रखा था।कुछ लोगों के मुख टेढ़-मेढ़े थे और कुछ तो नितान्त कुरूप थे।कुछ लोगों का मुह दाढ़ी-मूछ से भरा हुआ था।कोई लँगड़े ; लूले और कोई अन्धे थे ; फिर भी उछलते-कूदते जा रहे थे।कितनों के तो मुख ही नहीं था ; जबकि कुछ लोगों के अनेक मुख थे। कुछ के मुह पीठ पर लगे हुए थे।कुछ लोगों के हाथ नहीं थे।कुछ के अनेक हाथ थे।कुछ के हाथ उलटे लगे हुए थे।बारात मे अनेक ऐसे लोग थे जिनके आँख ही नहीं थी और कुछ के असंख्य आँखें थीं।कुछ लोगों के एक भी कान नहीं था जबकि कुछ के अनेक कान विद्यमान थे।इस प्रकार सम्पूर्ण बाराती बहुत विचित्र रूप और वेषभूषा वाले थे।
            इस विचित्र बारात के बीच मे शिव जी वृषभ पर सवार थे।वे निर्गुण होते हुए भी परम गुणवान थे।उनका स्वरूप बहुत विचित्र था।उनके पाँच मुख और दस भुजायें थीं।प्रत्येक मुख मे तीन-तीन आँखें विद्यमान थीं।उनके पूरे शरीर मे विभूति लगी हुई थी।मस्तक पर जटाजूट और चन्द्रमा का मुकुट था।वे एक हाथ मे कपाल धारण किये हुए थे।उनके शरीर पर बाघम्बर का दुपट्टा और गजचर्म का वस्त्र सुशोभित हो रहा था।इस भयानक रूप को देखकर मेना आश्चर्यचकित हो गयीं।वे भय के कारण काँपने लगीं।उनकी बुद्धि भ्रमित हो गयी और वे मूर्छित होकर भूमि पर गिर पड़ीं।

No comments:

Post a Comment