रविवार व्रत भगवान सूर्यदेव की अनुकम्पा प्राप्त करने के लिए किया जाता है।जिस व्यक्ति की जन्मकुण्डली अथवा गोचर मे सूर्य अनिष्टकारी हो ; उसे रविवार व्रत अवश्य करना चाहिए।
विधि ---
रविवार व्रत का आरम्भ विशेषकर वैशाख ; मार्गशीर्ष और माघ मे किया जाता है।कुछ लोगों के अनुसार कार्तिक मास भी रविवार व्रत के लिए उत्तम माना गया है।व्रती को चाहिए कि वह प्रातः स्नानादि से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प ले।फिर सुवर्ण निर्मित सूर्यमूर्ति का गन्धाक्षत आदि से विधिवत पूजन करे।मूर्ति के अभाव मे सूर्यदेव की ओर देखते हुए उन्हें गन्ध पुष्प आदि अर्पित करे।फिर जल मे लाल पुष्प डालकर सूर्यार्घ्य प्रदान करे।सम्पूर्ण दिन शान्तचित्त होकर परमात्मा का स्मरण करे।
रविवार व्रत मे सूर्यास्त के पूर्व एक बार नमक रहित भोजन लेना चाहिए।यदि केवल फलाहार लेना हो तो भी सूर्यास्त के पूर्व ही लेना चाहिए।इस प्रकार एक वर्ष तक व्रत करके उद्यापन करना चाहिए।
माहात्म्य ---
रविवार व्रत करने से मनुष्य तेजस्वी ; स्वाभिमानी एवं प्रसिद्ध हो जाता है।दाद ; कुष्ठ आदि रक्तविकार ; नेत्रपीड़ा ; दीर्घरोग से मुक्ति पाने के लिए रविवार व्रत बहुत फलकारी माना जाता है।इस व्रत से मनुष्य की सभी कामनायें पूर्ण हो जाती हैं।स्वास्थ्य लाभ के लिए रविवार व्रत रामबाण सदृश प्रभावशाली है।
Thursday, 23 June 2016
रविवार व्रत
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