तीर्थराज प्रयाग मे स्थित त्रिवेणी क्षेत्र का असीम महत्व है।यहाँ गंगा ; यमुना और अदृश्य सरस्वती का पावन संगम हुआ है।यहाँ माघ मास मे स्नान करने वाला व्यक्ति सौ करोड़ कल्पों तक पुनर्जन्म से मुक्त हो जाता है ---
सितासिते तु यत्स्नानं माघमासे युधिष्ठिर।
न तेषां पुनरावृत्तिः कल्पकोटिशतैरपि।।
जिस प्रकार इस त्रिवेणी का महत्व है ; उसी प्रकार शिव-त्रिवेणी का भी असीम महत्व है।यहाँ शिव जी का नाम ; उनकी विभूति ( भस्म ) तथा रुद्राक्ष -- ये तीनो त्रिवेणी के समान परम पुण्यदायक माने गये हैं।जहाँ ये तीनो वस्तुयें विद्यमान रहती हैं ; वहाँ उनके दर्शन मात्र से त्रिवेणी स्नान का पुण्यफल प्राप्त होता है।
इस त्रिवेणी मे भगवान शिव जी का नाम गंगा है ; विभूति यमुना है और रुद्राक्ष सरस्वती हैं।इन तीनों की संयुक्त त्रिवेणी समस्त पापों का नाश करने वाली है।इनकी महिमा अत्यन्त बहुत विलक्षण है।इसे केवल शिव जी ही जानते हैं।जिसके ऊपर उनकी कृपादृष्टि हो जाती है ; उसे भी इनकी महिमा का आभास हो जाता है।
Thursday, 2 June 2016
शिव-त्रिवेणी -- डाॅ कृष्ण पाल त्रिपाठी
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