Saturday, 14 May 2016

श्री रामेश्वर -- डाॅ कृष्ण पाल त्रिपाठी

          द्वादश ज्योतिर्लिंगों के क्रम मे श्री रामेश्वर जी की गणना एकादश स्थान पर की जाती है।ये तमिलनाडु प्रान्त मे रामनाथ पुरम जनपद मे रामेश्वरम नामक स्थान पर समुद्र तट पर विराजमान हैं।इनका प्रादुर्भाव श्री राम कथा से सम्बन्धित है।
          श्री राम जब लंका पर चढ़ाई करने के उद्देश्य से समुद्र-तट पर पहुँचे तब उन्हें प्यास लग गयी।उन्होंने जैसे ही जल पीना चाहा उसी समय स्मरण हुआ कि मैने अभी भगवान शिव जी का दर्शन-पूजन नहीं किया।इसलिए जल पीना उचित नहीं है।यह सोचकर उन्होंने विधिवत पार्थिव-पूजन किया।तत्पश्चात् शिव जी से प्रार्थना किया कि आपको मेरी सहायता करनी चाहिए।यद्यपि रावण भी आपका भक्त एवं अजेय है।परन्तु मै आपका दास हूँ।इसलिए आपको मेरा पक्ष लेना चाहिए।
           श्री राम की प्रार्थना से प्रसन्न होकर शिव जी अपनी प्रियतमा पार्वती एवं पार्षदों सहित प्रकट हो गये।उन्होंने श्री राम से वर माँगने को कहा।श्री राम ने रावण से होने वाले युद्ध मे अपनी विजय का अनुरोध किया।शिव जी ने उनकी विजय के लिए सहर्ष वरदान प्रदान किया।बाद मे श्री राम ने उनसे अनुरोध किया कि लोकहित के लिए आप सदैव यहीं निवास करें।शिव जी ज्योतिर्लिंग रूप मे वहीं प्रतिष्ठित हो गये।वही श्री रामेश्वर नाम से विख्यात हुए।
          बाद मे श्री राम ने उन्हीं के प्रभाव से समुद्र पार कर रावण पर विजय प्राप्त की।उसी समय से श्री रामेश्वर जी की महिमा का व्यापक प्रसार हुआ।जो व्यक्ति गंगा जल से उन्हें स्नान कराता है ; वह इस लोक मे देवदुर्लभ समस्त भोगों का उपभोग कर अन्त मे मोक्ष को प्राप्त होता है।अतः समस्त आस्तिक जनो को उनका दर्शन अवश्य करना चाहिए।

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