शिव जी परम कल्याणकारी देवता हैं।उनका नाम स्मरण करने से असंख्य पापों का विनाश हो जाता है।जिनके मुख से भगवान सदाशिव का नाम उच्चरित होता रहता है ; पाप उन्हें उसी प्रकार नही स्पर्श करता है ; जैसे खदिर वृक्ष के अंगारे को कोई स्पर्श नहीं कर सकता है।जिस मुख से शिव जी का नाम निकलता रहता है ; वह मुख समस्त पापों का विनाश करने वाला पावन तीर्थ बन जाता है।
शिव जी का नाम अत्यन्त प्रभावशाली है।यह समस्त पापों का हरण करने वाला सर्वोत्तम साधन है।इतना ही नहीं बल्कि शिव नाम रूपी दावानल से महापातक रूपी पर्वत अनायास मी भस्म हो जाता है।इसमे नाममात्र भी संशय नहीं है।संसार मे जितने प्रकार के पापमूलक दुःख हैं ; वे एकमात्र शिवनाम द्वारा ही नष्ट हो जाते हैं।अन्य साधनों से सम्पूर्ण यत्न करने पर भी वे पाप पूर्णतया नष्ट नहीं हो सकते हैं।भगवान शिव जी के नामोच्चारण से जितने पाप नष्ट होते हैं ; उतने पाप मनुष्य इस भूतल पर कर ही नहीं सकता है।अर्थात् वह जितना पाप करता है ; वे सब का सब शिव नाम द्वारा नष्ट हो जाते हैं।मनुष्य पर उन पापों का कोई प्रभाव ही नहीं पड़ेगा।
इस भवसागर को पार करने के लिए शिवनाम रूपी नौका सर्वश्रेष्ठ साधन है।जो व्यक्ति इस नौका पर आरूढ़ होकर संसार रूपी समुद्र को पार करते हैं ; उनके जन्म-मरण रूपी संसार के मूलभूत पातक निश्चित रूप से नष्ट हो जाते हैं।संसार के मूलभूत पातक रूप वृक्षों का विनाश एकमात्र शिव नाम रूपी कुठार से ही हो सकता है।जो मनुष्य जाने-अनजाने मे पाप करने के बाद भगवान शिव जी के नाम जप मे लग जाता है ; वह समस्त पापों से मुक्त हो जाता है।जिस प्रकार वन मे दावानल से दग्ध हुए वृक्ष भस्म हो जाते हैं ; उसी प्रकार शिव नाम रूपी दावानल से मनुष्य के सारे पाप भस्म हो जाते हैं।
प्राचीन काल मे राजा इन्द्रद्युम्न नामक महापापी ने शिव नाम के प्रभाव से ही सद्गति प्राप्त की थी।इसी प्रकार असंख्य पापियों कि शिव नाम स्मरण के द्वारा ही उद्धार हुआ था।अतः समस्त आस्तिक जनो को शिव नाम का जप अवश्य करना चाहिए ; जिससे जाने-अनजाने मे होने वाले सभी पापों का विनाश हो सके।शिव नाम जपने वाला ही वेदज्ञ ; पुण्यात्मा एवं विद्वान माना जाता है।वही धन्यवाद का पात्र है।उसके द्वारा आचरित धर्म ही तत्काल शुभ फल प्रदान करते हैं।इसमे तनिक भी सन्देह नहीं है।
Friday, 6 May 2016
पापनाशक शिव नाम -- डाॅ कृष्ण पाल त्रिपाठी
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