सृष्टि के आरम्भ मे ब्रह्मा जी सृष्टि-संरचना हेतु बहुत प्रयत्नशील थे।उन्होंने अनेक मानस पुत्रों का सृजन किया।इसी क्रम मे सनक ; सनन्दन ; सनातन और सनत्कुमार को उत्पन्न किया।ये चारो महान वैरागी एवं उत्तम व्रतधारी थे।ब्रह्मा जी ने उनसे प्रजावृद्धि मे सक्रिय भाग लेने को कहा।परन्तु उन्होंने उक्त कार्य मे सम्मिलित होना अस्वीकार कर दिया।इस पर ब्रह्मा जी बहुत क्रुद्ध हुए परन्तु वे कर ही क्या सकते थे।
ब्रह्मा जी को कोई उपाय नहीं सूझ रहा था।तब उन्होंने श्री विष्णु का स्मरण किया।विष्णु जी ने उन्हें शिव जी की आराधना करने का निर्देश दिया।ब्रह्मा जी शिवाराधना मे संलग्न हो गये।उन्होंने शिव जी को प्रसन्न करने के लिए कठोर तप किया।शिव जी स्वभाव से ही परम दयालु एवं आशुतोष हैं।वे ब्रह्मा जी के तप से प्रसन्न होकर अर्धनारीश्वर स्वरूप मे प्रकट हो गये।उनका आधा शरीर पुरुष का और आधा शरीर स्त्री का था।स्त्री-शरीर शक्तिरूप मे और पुरुष-शरीर शिवरूप मे था।उनका दर्शन पाकर ब्रह्मा जी अत्यन्त प्रसन्न हुए।उन्होंने अर्धनारीश्वर भगवान की विधिवत् स्तुति की।
ब्रह्मा जी की स्तुति से प्रभुवर प्रसन्न हो गये।उन्होंने अपने वामभाग से अपनी परमाशक्ति को प्रकट कर दिया।ब्रह्मा जी ने परमाशक्ति से निवेदन किया कि मैने अनेक मानस-पुत्रों को उत्पन्न किया किन्तु प्रजावृद्धि नहीं हुई।प्रजावृद्धि का सरल उपाय मैथुनी-सृष्टि है।परन्तु मै नारी की सृष्टि करने मे सक्षम नहीं हूँ।आप ही इस सृष्टि की प्रथम नारी हैं।अब आप मेरे मानसपुत्र दक्ष के यहाँ अवतरित होकर सृष्टि-संरचना मे सहयोग दें।तभी मेरा कार्य पूर्ण हो सकेगा।
उन परमाशक्ति ने अपनी भौंहों के बीच से एक देवी को प्रकट किया।वही देवी दक्षपुत्री सती के रूप मे अवतरित हुईं।बाद मे वे शिव जी की धर्मपत्नी बनीं।इस प्रकार सृष्टि-रचना के लिए ही भगवान शिव जी का अर्धनारीश्वर स्वरूप प्रकट हुआ था।जब सती रूपी नारी का अवतरण हो गया तब ब्रह्मा जी नारी-सृष्टि के लिए अर्ह हो गये।उन्होंने अपने शरीर से मनु और शतरूपा को उत्पन्न किया।बाद मे इन्हीं दोनो से सम्पूर्ण सृष्टि की रचना आरम्भ हुई।
Tuesday, 24 May 2016
अर्धनारीश्वर अवतार -- डाॅ कृष्ण पाल त्रिपाठी
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