पुराणों मे वैशाख ; कार्तिक एवं माघ मास की अत्यधिक प्रशंसा की गयी है।किन्तु स्कन्दपुराण मे वैशाख मास को ही सर्वश्रेष्ठ मास घोषित किया गया है -- " न माधवसमो मासो "।इस महीने मे किये जाने वाले जप ; तप ; पूजा ; पाठ ; स्नान ; दान आदि की विशिष्ट महत्ता प्रतिपादित की गयी है।यदि गम्भीरता पूर्वक विचार किया जाय तो ज्ञात होता है कि इस मास मे जलदान से बढ़कर कोई दान नहीं है।अन्य दानों मे पर्याप्त धन की आवश्यकता होती है और सबके पास धन नहीं होता है।इसलिए चाहते हुए भी धनहीन लोग दान नहीं कर पाते हैं।किन्तु जलदान करने के लिए धन की आवश्यकता नहीं पड़ती है।केवल मन बनाकर हल्के श्रम के द्वारा यह महादान किया जा सकता है।अन्य दानों की अपेक्षा जलदान का पुण्य भी बहुत अधिक है।
शास्त्रों जितने प्रकार के दान बताये गये हैं ; उन सबके द्वारा जो फल प्राप्त होता है ; उसे मनुष्य वैशाख मास मे केवल जलदान करके ही प्राप्त कर लेता है।यदि कोई व्यक्ति स्वयं जलदान करने मे असमर्थ है तो वह दूसरे लोगों को जलदान का महत्त्व समझाकर उन्हें जलदान करने के लिए प्रेरित कर सकता है।जलदान नौकरों के द्वारा भी सम्पन्न कराया जा सकता है।
यदि कोई व्यक्ति वैशाख मास मे सड़क पर यात्रियों की प्यास बुझाने के लिए जलप्याऊ लगाता है तो वह विष्णुलोक मे प्रतिष्ठा प्राप्त करता है।इस पुनीत कार्य से मनुष्य तो प्रसन्न होते हो हैं ; देवता ; पितर ; ऋषि ; मुनि भी सन्तुष्ट होकर शुभाशीष प्रदान करते हैं।यदि किसी ने थके माँदे यात्रियों को जल पिलाकर सन्तुष्ट कर लिया तो मानो उसने ब्रह्मा ; विष्णु ; महेश को भी सन्तुष्ट कर लिया है।वैशाख मास मे किसी प्यासे महापुरुष को शीतल जल प्रदान करने से दस हजार राजसूय यज्ञ का फल प्राप्त होता है।
इस प्रकार जलदान की महत्ता सर्वोपरि है।इस दान की सर्वाधिक उल्लेखनीय विशेषता यह है कि इससे किसी प्राणी के जीवन की रक्षा होती है।साथ ही बिना धन लगाये ही यह महादान सम्पन्न हो सकता है।अतः इस पुनीत कार्य मे सबको बढ़-चढ़ कर भाग लेना चाहिए।इस अवसर का लाभ उठाने से चूकना नहीं चाहिए।इससे परम सुख एवं सन्तोष की प्राप्ति सुनिश्चित है।
Friday, 6 May 2016
जलदान महादान --- डाॅ कृष्ण पाल त्रिपाठी
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