अष्टका - श्राद्ध का वर्णन करते समय श्राद्ध एवं उसके विभिन्न भेदों पर चर्चा की जा चुकी है।वहीं पर श्राद्ध के जो 96 अवसर बताये गये हैं ; उन्हीं मे अन्वष्टका श्राद्ध भी परिगणित हुई है।
शास्त्रों मे बताया गया है कि मार्गशीर्ष ; पौष ; माघ ; फाल्गुन तथा भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष मे किये जाने वाले अष्टका श्राद्ध की अग्रिम तिथि को अन्वष्टका कहा जाता है।अर्थात् उपर्युक्त मासों के कृष्ण पक्ष की नवमी को अन्वष्टकाश्राद्ध करने का विधान है।इसमे अपराह्न-व्यापिनी नवमी ली जाती है।अष्टकाश्राद्ध की भाँति अन्वष्टका श्राद्ध भी अनिवार्य मानी गयी है।अतः सभी को यह श्राद्ध करना चाहिए।
Saturday, 26 December 2015
अन्वष्टका - श्राद्ध
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