Tuesday, 29 December 2015

आरोग्य-व्रत

           आरोग्य-व्रत पौष मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को किया जाता है।इसमे चन्द्रोदय-व्यापिनी द्वितीया ली जाती है।अर्थात् जिस दिन चन्द्रोदय काल मे द्वितीया तिथि वर्तमान हो ; उस दिन आरोग्य-व्रत किया जाता है।इस व्रत को करने से आरोग्य की प्राप्ति होती है।इसलिए इसे आरोग्य-व्रत कहते हैं।

विधि ---

           व्रत करने के इच्छुक व्यक्ति को चाहिए कि वह पौष शुक्ल द्वितीया को स्नानादि करके व्रत का संकल्प ले।दिन भर भगवान का नाम-स्मरण करते हुए उपवास करे।सायंकाल गाय के सींग के धोये हुए जल से स्नान कर श्वेत वस्त्र धारण करे।चन्द्रोदय होने पर द्वितीया के चन्द्रमा का गन्ध अक्षत श्वेत पुष्प धूप दीप नैवेद्य आदि से विधिवत् पूजन करे।उस समय ब्राह्मणों को गुड़ दही खीर आदि का भोजन कराये।उन्हें दक्षिणा देकर शुभाशीष प्राप्त करे।उसके बाद स्वयं छाछ पीकर भूशयन करे।
           इस प्रकार एक वर्ष तक प्रत्येक मास के शुक्ल पक्ष की चन्द्रोदय-व्यापिनी द्वितीया का व्रत करे।वर्ष के अन्त मे ब्राह्मण को गन्ना के रस से परिपूर्ण घड़ा ; सुवर्ण ; वस्त्र आदि वस्तुयें प्रदान कर उद्यापन करे।

माहात्म्य ---

           आरोग्य-प्राप्ति के लिए यह व्रत बहुत उत्तम है।जो व्यक्ति एक वर्ष तक श्रद्धा-भक्ति पूर्वक इस व्रत को करता है ; वह समस्त रोगों से मुक्त हो जाता है।उसे समस्त सांसारिक सुखों को भोगने का सौभाग्य प्राप्त होता है।

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