दत्तात्रेय-जयन्ती मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है।यह पूर्णिमा तिथि का सौभाग्य ही है कि उसे भगवान विष्णु के अवतार भगवान दत्तात्रेय की जन्मतिथि होने का गौरव प्राप्त हुआ है।दत्तात्रेय जी महामुनि अत्रि जी एवं माता अनसूया जी के पुत्र थे।जिस प्रकार पूर्णिमा को चन्द्रमा सोलह कलाओं से युक्त होकर पूर्ण प्रकाशमान होता है।उसी प्रकार दत्तात्रेय जी योग एवं अवधूत विद्या के ज्ञानरूपी प्रकाश से पूर्णरूपेण प्रकाशमान थे।वे इन विद्याओं के परमाचार्य थे।अतः ऐसे महापुरुष की जयन्ती भी उसी प्रकार मनाई जानी आवश्यक है।
दत्तात्रेय-जयन्ती मनाने के इच्छुक व्यक्तियों को चाहिए कि वे मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष पूर्णिमा को एक छोटा सा मञ्च अथवा चौकी को ही सुसज्जित कर लें।उस पर भगवान दत्तात्रेय की प्रतिमा स्थापित करें।सुन्दर गन्ध अक्षत पुष्प धूप दीप नैवेद्य आदि से उनका विधिवत् पूजन करें।दत्तात्रेय जी के जीवन पर प्रकाश डालने हेतु व्याख्यान आदि आयोजित करें।इस प्रकार भगवत्स्मरण करते हुए भव्य आयोजन करें।अन्त मे प्रसाद-वितरण के बाद विसर्जन करें।
Thursday, 24 December 2015
दत्तात्रेय-जयन्ती
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