विधिपूजन-व्रत पौष मास के शुक्ल पक्ष की उस द्वितीया तिथि को किया जाता है ; जब उस दिन गुरुवार हो।द्वितीया तिथि के स्वामी ब्रह्मा जी हैं।इस व्रत मे विधि अर्थात् ब्रह्मा जी का ही पूजन होता है।इसीलिए इसे विधिपूजा कहा जाता है।
विधि ---
व्रती पौष शुक्ल द्वितीया को स्नानादि करके व्रत का संकल्प ले।फिर गन्ध अक्षत पुष्प धूप दीप नैवेद्य आदि से ब्रह्मा जी का विधिवत् पूजन करे।दिन भर उपवास करे।रात्रि मे एक बार शुद्ध - सात्विक आहार ग्रहण करे।
माहात्म्य ---
यह पर्व बहुत महत्वपूर्ण एवं पुण्यदायक है।जो व्यक्ति इस तिथि को ब्रह्मा जी का पूजन एवं उनके निमित्त व्रत करता है।ब्रह्मा जी उसे सब प्रकार की सम्पत्ति प्रदान करते हैं।व्रती पूर्ण सुखी एवं सम्पन्न हो जाता है।उसे कभी भी धनाभाव का कष्ट नहीं होता है।
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