Monday, 14 December 2015

श्रीरामजानकी - विवाह - महोत्सव

           श्रीराम - जानकी का विवाह मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पञ्चमी तिथि को सम्पन्न हुआ था।इसीलिए उक्त तिथि को यह महोत्सव पूरे देश मे धूमधाम से मनाया जाता है।

कथा --

         त्रेतायुग मे अयोध्या - नरेश महाराज दशरथ के चार पुत्र हुए -- राम ; लक्ष्मण ; भरत और शत्रुघ्न।ये चारो महाप्रतापी एवं महाबलशाली थे।एक बार महर्षि विश्वामित्र अपने यज्ञ की रक्षा के लिए राम और लक्ष्मण को अपने साथ ले गये।श्रीराम ने समस्त राक्षसों का संहार कर यज्ञ की रक्षा की।उसी समय राजा जनक के धनुष - यज्ञ की सूचना मिली।अतः मुनिवर के साथ राम - लक्ष्मण भी जनकपुर गये।
          राजा जनक ने उनके आवास की उत्तम व्यवस्था की।गुरुदेव की सुश्रूषा से निवृत्त होकर दोनो भाई नगर की शोभा देखने गये।वहाँ की ललनाओं को भी अट्टालिकाओं के झरोखों से उनके अनुपम छवि को देखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।बाद मे दोनो भाई पुष्प-चयन हेतु जनक के पुष्पवाटिका मे गये।उसी समय सीता भी गिरिजा - पूजन हेतु वाटिका मे पहुँच गयीं।राम और सीता ने परस्पर अवलोकन किया।सीता ने भगवती गिरिजा से श्रीराम को वररूप मे प्राप्त होने का आशीष माँगा।माता गिरिजा ने एवमस्तु कह दिया।
          दूसरे दिन धनुष-यज्ञ का आयोजन हुआ।उसमे अनेक राजा सम्मिलित हुए।उनमे से अधिकाँश राजाओं ने धनुष उठाने का प्रयास किया किन्तु सभी लोग असफल रहे।अन्त मे विश्वामित्र की आज्ञानुसार श्रीराम ने धनुष को उठाकर तोड़ डाला।भक्त राजाओं एवं जनकपुर वासियों के हृदय मे आनन्द की मन्दाकिनी प्रवाहित होने लगी।
          बाद मे महाराज दशरथ को सूचना दी गयी।वे बारात लेकर जनकपुर पहुँचे।मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष पञ्चमी को शुभ लग्न मे श्रीराम और सीता जी का विवाह सम्पन्न हुआ।इसी अवसर पर लक्ष्मण ; भरत और शत्रुघ्न का विवाह सीता की बहनों उर्मिला ; माण्डवी और श्रुतिकीर्ति के साथ हुआ।इसी माङ्गलिक कृत्य की स्मृति मे आज भी श्रीरामजानकी - विवाह - महोत्सव का भव्य आयोजन किया जाता है।

No comments:

Post a Comment