Tuesday, 22 December 2015

पिशाचमोचन-यात्रा

           विश्व की प्रसिद्ध धार्मिक नगरियों मे काशी का नाम सर्वोपरि है।इसे प्राचीनतम नगरी होने का गौरव प्राप्त है।यह भगवान विश्वनाथ जी की राजधानी के रूप मे प्रसिद्ध है।पौराणिक मान्यता के अनुसार यह नगरी भगवान शिव जी के त्रिशूल पर स्थित है।यहाँ असंख्य तीर्थस्थल विद्यमान हैं।उन्हीं तीर्थों मे पिशाचमोचन का भी महत्वपूर्ण स्थान है।यह एक विशाल सरोवर है ; जो लालपुर मुहल्ले के समीप स्थित है।पौराणिक मान्यता के अनुसार यहाँ पर पिण्डदान करने से मृतात्मायें प्रेतयोनि से मुक्त हो जाती हैं।इसके समीप महावीर ; कपर्दीश्वर ; पञ्चविनायक ; पिशाचमस्तक ; विष्णु ; वाल्मीकि सहित अनेक देवी-देवताओं की मूर्तियाँ प्रतिष्ठित हैं।यहाँ वाल्मीकेश्वर शिव एवं हेरम्ब विनायक हैं।
           पौराणिक ग्रन्थों मे पिशाचमोचन - यात्रा का अत्यधिक महत्व वर्णित है।यह यात्रा मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को की जाती है।यहाँ कपर्दीश्वर शिव के समीप स्नान करने का विशेष महत्व है।जो व्यक्ति पिशाचमोचन - यात्रा करता है ; उसकी मृत्यु चाहे जहाँ हो किन्तु वह पिशाच नहीं बनता है।साथ ही तीर्थस्थानों पर लिये गये दान आदि का पाप भी नहीं लगता है।अतः जीवन मे एक बार सभी को पिशाचमोचन-यात्रा मे सम्मिलित अवश्य होना चाहिए।

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