Wednesday, 13 January 2016

सर्वाप्ति-सप्तमी-व्रत

           सर्वाप्ति-सप्तमी-व्रत माघ मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी को किया जाता है।इस व्रत के प्रभाव से मनुष्य को सर्व ( सभी वस्तुओं या मनोरथों की ) आप्ति ( प्राप्ति ) हो जाती है।इसीलिए इसको सर्वाप्ति सप्तमी व्रत कहा जाता है।

कथा --

           सप्तमी तिथि के स्वामी सूर्यदेव हैं।इसलिए यह तिथि उन्हें सर्वाधिक प्रिय है।सप्तमी को अधिकाँशतः सूर्यदेव की ही उपासना की जाती है।

विधि ---

           व्रती प्रातः स्नानादि से निवृत्त होकर संकल्प पूर्वक गन्ध अक्षत आदि से भगवान सूर्य नारायण का विधिवत् पूजन करे।दिन मे एक बार नमक-तेल रहित भोजन करे।इसे छः महीने की पारणा सहित एक वर्ष तक करना चाहिए।

माहात्म्य ---

           सूर्यदेव प्रत्यक्ष एवं सर्वसमर्थ देवता हैं।माघ कृष्ण सप्तमी को इनके उद्देश्य से व्रत एवं पूजन करने से मनुष्य के सभी मनोरथ पूर्ण हो जाते हैं।

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