विजया एकादशी व्रत फाल्गुन कृष्ण पक्ष एकादशी को किया जाता है।इसे करने से मनुष्य को सर्वत्र विजय की प्राप्ति होती है।इसीलिए इसको विजया एकादशी कहा जाता है।
कथा -----
------- सीता-हरण के बाद श्री राम लंका पर चढ़ाई करने के लिए वानर-सेना सहित समुद्र-तट पर पहुँचे।समुद्र की विशालता को देखकर श्री राम ने लक्ष्मण से उसे पार करने का उपाय पूछा।लक्ष्मण ने बताया कि इसी द्वीप मे बकदाल्भ्य मुनि रहते हैं।वे ही समुद्र पार करने का उपाय बता सकते हैं।
श्री राम ने मुनिवर के पास जाकर प्रणाम किया और समुद्र पार करने का उपाय पूछा।मुनि ने बताया कि आप फाल्गुन कृष्ण पक्ष की विजया एकादशी का व्रत करें।इसके प्रभाव से आप ससैन्य समुद्र पार कर लेंगे और विजयी भी होंगे।श्री राम ने मुनि के निर्देशानुसार व्रत किया।बाद मे उसी व्रत के प्रभाव से रावण को मार कर सीता जी को प्राप्त किया।
विधि ----
-------- व्रती दशमी को स्नानादि करके कलश पर भगवान नारायण की सुवर्ण-प्रतिमा स्थापित करे।दूसरे दिन एकादशी को गन्धाक्षत आदि से उनका विधिवत् पूजन करे।फिर वहीं पर अखण्ड दीप जलाकर दिन भर उपवास पूर्वक भगवन्नाम-स्मरण एवं रात्रि-जागरण करे।द्वादशी को किसी जलाशय के तट पर उस कलश की पुनः पूजा करे।उसके बाद प्रतिमा सहित कलश का दान करके पारणा करे।
माहात्म्य ---
------------- यह व्रत बहुत महत्वपूर्ण है।इसे करने से व्रती को सर्वत्र विजय की प्राप्ति होती है।अन्त मे अक्षय स्वर्ग की प्राप्ति होती है।
Wednesday, 27 January 2016
विजया एकादशी व्रत
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