Wednesday, 27 January 2016

सीताष्टमी-व्रत

           सीताष्टमी-व्रत फाल्गुन कृष्ण पक्ष अष्टमी को किया जाता है।इस दिन मध्याह्न काल मे सीता जी का जन्म हुआ था।इसीलिए इसे सीताष्टमी कहा जाता है।
कथा ---
------       निर्णयसिन्धु मे उपलब्ध कल्पतरु नामक ग्रन्थ के एक उद्धरण के अनुसार फाल्गुन कृष्ण पक्ष अष्टमी को भगवान रामचन्द्र की पत्नी सीता जी का जन्म हुआ था।उसी दिन समुद्र-तट पर श्री राम ने उपवास ( व्रत ) किया था।इसलिए इस दिन जनक-नन्दिनी सीता का पूजन अवश्य करना चाहिए ---
      फाल्गुनस्य च मासस्य कृष्णाष्टम्यां महीपते।
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       जाता दशरथेः पत्नी तस्मिन्नहनि जानकी।
      उपोषितो रघुपतिः समुद्रस्य तटे तदा ।।
      रामपत्नी च सम्पूज्या सीता जनकनन्दिनी।
            परन्तु अन्य ग्रन्थों मे जानकी जी का जन्म वैशाख शुक्ल पक्ष नवमी को माना गया है ; जिसे जानकी-नवमी कहा जाता है।
विधि ---
-------      व्रती स्नानादि से निवृत्त होकर संकल्प पूर्वक जनक-नन्दिनी सीता जी का गन्धाक्षत आदि से विधिवत् पूजन करे।उसके बाद जौ चावल आदि की खीर का हवन करे।साथ ही जानकी जी को पूए का नैवेद्य अर्पित करे।
माहात्म्य --
-------------    जगज्जननी सीता जी की जयन्ती होने के कारण इसका बहुत अधिक महत्व है।जो व्यक्ति इस दिन व्रत करता है ; उसकी समस्त कामनायें पूर्ण हो जाती हैं।

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