Sunday, 31 January 2016

कामदासप्तमी-व्रत

           कामदासप्तमी-व्रत फाल्गुन शुक्ल पक्ष सप्तमी को किया जाता है।यह सभी कामनाओं को प्रदान करने वाली है।इसीलिए इसको कामदा सप्तमी कहा जाता है।
कथा --
------
          इस व्रत का वर्णन भगवान ब्रह्मा जी ने सर्वेश्वर विष्णु जी से किया था।
विधि --
------
          व्रती प्रातः स्नानादि से निवृत्त होकर उपवास पूर्वक सूर्यदेव का पूजन करे।दूसरे दिन पुनः सूर्यदेव का पूजन और हवन करके प्रार्थना करे --
     यमाराध्य पुरा देवी सावित्री काममाप वै।
     स मे ददातु देवेशः सर्वान् कामान् विभावसुः।।
           इसके बाद ब्राह्मणों को भोजन एवं दक्षिणा से सन्तुष्ट करे।इस व्रत को चार-चार महीने मे पारणा करके एक वर्ष मे समापन किया जाता है।
माहात्म्य --
------------
           इस व्रत को करने से मनुष्य को मनोवाँछित फल की प्राप्ति होती है।यह सप्तमी अत्यन्त पुण्यदायिनी एवं पापनाशिनी है।इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति सूर्यसदृश तेजस्वी बनकर विमान द्वारा सूर्यलोक को जाता है।जन्मान्तर मे राजा बनता है।

No comments:

Post a Comment