सूर्यदेव जब एक राशि को त्यागकर अग्रिम राशि मे संक्रमण ( प्रवेश ) करते हैं ; तब उस समय को संक्रान्ति कहते हैं।इसी प्रकार सूर्य जब धनु राशि को छोड़कर मकर राशि मे संक्रमण करते हैं तो उसे मकर संक्रान्ति कहा जाता है।यह सदैव 14 या 15 जनवरी को होती है।इस वर्ष मकर संक्रान्ति 15-01-2016 को प्रातः 06-45 बजे होगी।
विधि ---
संक्रान्ति-व्रत करने के इच्छुक व्यक्ति को चाहिए कि वह प्रातः तिल मिश्रित जल से स्नान करके शुभासन पर पूर्वाभिमुख बैठे।अपने समक्ष भूमि पर कर्णिका सहित अष्टदल कमल बनाये।फिर कर्णिका अर्थात् अष्टदल के मध्य मे सूर्याय नमः से सूर्यदेव का आवाहन करे।इसी प्रकार पूर्व दिशा के दल मे आदित्याय नमः ; अग्निकोण वाले दल मे उष्णार्चिषे नमः ; दक्षिण वाले मे ऋङ्मण्डलाय नमः ; नैऋर्त्य कोण वाले मे सवित्रे नमः ; पश्चिमी दल मे तपनाय नमः ; वायव्य कोण मे भगाय नमः ; उत्तरी दल मे मार्तण्डाय नमः तथा ईशान कोण मे विष्णवे नमः कहकर सूर्यदेव का आवाहन करे।गन्ध ; अक्षत आदि से उनका विधिवत् पूजन करे।पूजन मे लाल चन्दन ;एवं लाल पुष्प उत्तम होता है।इसके बाद अपनी सामर्थ्य के अनुसार सुवर्ण का कमल ; घृतपूर्ण पात्र एवं कलश ब्राह्मण को दान कर दें।बाद मे चन्दन पुष्प युक्त जल से सूर्यनारायण को इस मंत्र से अर्घ्य प्रदान करें --
ऊँ विश्वाय विश्वरूपाय विश्वधाम्ने स्वयम्भुवे ।
नमोऽनन्त नमो धात्रे ऋक्सामयजुषाम्पते ।।
मकर संक्रान्ति को खिचड़ी पर्व भी कहा जाता है।अतः खिचड़ दान करने का विधान है।इस दिन तिलमिश्रित वस्तुएं खाने और दान करने का पर्याप्त महत्व है।
माहात्म्य --
इस व्रत करने से व्यक्ति की समस्त कामनायें पूर्ण हो जाती हैं।उसे परलोक मे अक्षय फल की प्राप्ति होती सै।यह व्रत लोक और परलोक दोनो स्थानो पर सुख एवं पुण्यफल प्रदान करने वाला है।
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