फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अन्तिम तिथि को फाल्गुनी अमावस्या कहा जाता है।
प्रत्येक अमावस्या को सूर्य और चन्द्रमा एक ही राशि मे समान अंशों पर स्थित होते हैं।साथ ही चन्द्रमा का श्वेत भाग सूर्य की ओर होता है।इसलिए चन्द्रमा का प्रकाश पृथ्वी पर नही आता है।
फाल्गुनी अमावस्या को गंगा आदि पवित्र नदियों मे स्नान ; दान ; जप ; तप ; पूजा ; पाठ आदि का विशेष महत्व है।यदि यह सोम ; मंगल ; बृहस्पति या शनिवार को पड़ जाय तो विशेष पुण्यदायिनी हो जाती है।इस दिन किए गये स्नान ; दानादि से उतना ही पुण्यफल मिलता है ; जितना सूर्यग्रहण को मिलता है।
फाल्गुनी अमावस्या युगादि तिथि है।इसलिए इस दिन अपिण्ड श्राद्ध का विधान है।
इस दिन रुद्र ; अग्नि और ब्राह्मणों का पूजन कर उन्हें उड़द-दही-पूरी के नैवेद्य से सन्तुष्ट करना चाहिए।बाद मे स्वयं भी इन्ही पदार्थों को ग्रहण करे।इससे अत्यधिक पुण्य की प्राप्ति होती है।
Thursday, 28 January 2016
फाल्गुनी अमावस्या
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