माघ मास के शुक्ल पक्ष की अन्तिम तिथि को माघी-पूर्णिमा कहा जाता है।इसकी प्रमुख विशेषतायें इस प्रकार हैं।
1-- इस दिन सूर्य और चन्द्रमा ठीक आमने-सामने 180 अंश के अन्तर पर स्थित होते हैं।यदि सूर्य कुम्भ राशि पर होगा तो चन्द्रमा सिंह राशि पर होगा।सूर्य मकर राशि पर होगा तो चन्द्रमा कर्क राशि पर होगा।यह योग बहुत शुभ माना जाता है।
2-- चन्द्रमा जब कर्क राशि मे और सूर्य मकर राशि मे होता है; तब पुण्य योग बनता है।
3-- चन्द्रमा जब सिंह मे और सूर्य कुम्भ मे होता है ; तब चन्द्रमा सूर्य की राशि मे और सूर्य अपने पुत्र शनि की राशि मे होता है।यह भी उत्तम पुण्यकारी योग माना जाता है।
4-- पूर्णिमा को चन्द्रमा सोलहों कलाओं से परिपूर्ण होकर पूर्ण प्रकाशमान होता है।
5-- पूर्णिमा को चन्द्रमा का श्वेत भाग पृथ्वी की ओर होता है।इसलिए उस समय चन्द्रमा अपने दिव्य प्रकाश से सम्पूर्ण पृथ्वी को आलोकित करता है।साथ ही अपनी किरणों से अमृत-वर्षा करता है।
6-- अमावस्या और पूर्णिमा पर्व तिथियाँ मानी जाती हैं।माघ महीना भी बहुत पवित्र होता है।अतः धार्मिक दृष्टि से माघी पूर्णिमा का महत्व बहुत अधिक होता है।
7-- माघी-पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु जी गंगा जल मे निवास करते हैं।इसलिए इस दिन गंगा-स्नान का विशेष महत्व है।
8-- यदि कोई व्यक्ति पूरे माघ मास मे स्नान करने मे असमर्थ हो तो केवल माघी अमावस्या को ही स्नान कर लेने पर उसे पूरे माघ-स्नान का फल मिल जाता है।
9-- इस दिन जगज्जननी सरस्वती के दिव्य स्वरूप ललिता महाविद्या की जयन्ती भी है।इसलिए इस तिथि की महत्ता और अधिक बढ़ जाती है।
10-- सनातन परम्परा मे माघी पूर्णिमा का बहुत अधिक धार्मिक महत्व माना जाता है।यह प्रयाग के संगम स्नान के प्रमुख पर्वों मे एक है।
11-- माघी पूर्णिमा को स्नान दान जप तप पूजा पाठ आदि का असीम महत्व है।इससे अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
12-- इस दिन से प्रयाग का माघ मेला समाप्त हो जाता है।साथ ही माघ मास सम्बन्धी स्नान दान व्रत यम नियम आदि का भी समापन हो जाता है।
13-- माघी पूर्णिमा को जब बृहस्पति और चन्द्रमा मघा नक्षत्र पर हों तब उसे महामाघी कहा जाता है।परन्तु अन्य स्थलों पर कहा गया है कि जब मेष राशि मे शनि ; सिंह मे गुरु और चन्द्रमा ; श्रवण नक्षत्र मे सूर्य हो तब महामाघी होती है।
14-- प्रायः सभी पुराणों मे माघी पूर्णिमा को अत्यन्त पूजित माना गया है।
15-- पूर्णिमा तिथि का स्वामी चन्द्रमा है।इसलिए उसे यह तिथि विशेष प्रिय है।अतः इस दिन चन्द्रार्घ्य प्रदान करने से चन्द्रदेव की अनुकम्पा अवश्य प्राप्त होती है।
Tuesday, 26 January 2016
माघी-पूर्णिमा
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