Monday, 18 January 2016

मौनी-अमावस्या

           माघ मास की अमावस्या मौनी-अमावस्या के नाम से प्रसिद्ध है।इस दिन मौन स्नान का विधान है।इसीलिए इसको मौनी अमावस्या कहते हैं।अन्य अमावस्याओं की अपेक्षा इसका महत्त्व अधिक है।इसकी महत्ता के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं ---
1-- अमावस्या पर्वतिथि है।माघ का महीना भी बहुत पवित्र माना जाता है।इसलिए माघ की अमावस्या का महत्त्व और अधिक बढ़ जाता है।
2-- मौनी अमावस्या को सूर्य और चन्द्रमा दोनो मकर राशि मे समान अंशों पर स्थित होते हैं।यह बहुत शुभ योग माना जाता है।
3-- अमावस्या को पृथ्वी पर कहीं न कहीं ग्रहण अवश्य पड़ता है।अतः हमारे महर्षियों ने इस दिन स्नान दान का विधान बनाया है ; जिससे धर्मप्राण जनता को ग्रहणजन्य पुण्यफल की प्राप्ति हो जाय।
4-- अमावस्या को चन्द्रमा का श्वेत भाग ऊपर की ओर अर्थात् सूर्य की ओर होता है।अतः इस दिन पृथ्वी पर जो स्नान ; दान ; श्राद्ध आदि किये जाते हैं ; उनका वाष्पभूत अंश सूर्य-रश्मियों द्वारा आकृष्ट होकर पितृलोक मे चला जाता है।उसका पुण्यफल दानकर्ता के पितरों को तो मिलता ही है ; स्वयं दानकर्ता को भी उसकी मृत्यु के बाद मिलता है।
5-- अमावस्या के स्वामी पितर हैं।अतः इस तिथि को किये गये दान-श्राद्ध आदि से पितर प्रसन्न होकर कर्ता को आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
6-- मत्स्यपुराण के अनुसार माघ मास मे दस हजार तीर्थ एवं तीन करोड़ नदियाँ गंगा मे निवास करती हैं।अतः माघी अमावस्या को स्नान करने से उन सबका पुण्यफल सहज ही प्राप्त हो जाता है।
7-- जो मनुष्य प्रयाग संगम मे स्नान करता है ; उसे राजसूय और अश्वमेध यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है।मौनी अमावस्या को संगम स्नान करने पर यह फल और अधिक मात्रा मे प्राप्त होता है।
8-- अमावस्या को भगवन्नाम-स्मरण ; जप ; तप आदि का विशेष महत्व है।मौनी अमावस्या को इसकी महत्ता कई गुना अधिक हो जाती है।
9-- माघ मास मे संगम स्नान से अनन्त पुण्य की प्राप्ति होती है।मौनी अमावस्या को यह फल अनेक गुना अधिक हो जाता है।
10-- यदि मौनी अमावस्या सोमवार को पड़ जाय तो उसका पुण्यफल अनन्त गुना बढ़ जाता है।संयोगवश 2016 मे सोमवती मौनी अमावस्या पड़ रही है।
11-- समुद्र-मन्थन से निकले अमृत-कुम्भ की कुछ बूँदें प्रयाग संगम मे छलक गयी थीं ; जिससे यहाँ की भूमि अमृतमयी हो गयी है।मौनी अमावस्या को संगम-स्नान करने से उस अमृत का कुछ प्रभाव एवं पुण्य अवश्य मिलता है।

विधि ---

           भक्त को चाहिए कि वह संगम अथवा किसी अन्य पवित्र नदी मे मौन होकर स्नान करके पितृ-तर्पण एवं सूर्यार्घ्य प्रदान करे।अपनी सामर्थ्य के अनुसार ब्राह्मणों सन्यासियों आदि को भोजन ; वस्त्र ; द्रव्य आदि प्रदान कर उनसे शुभाशीष भी प्राप्त करना चाहिए।

माहात्म्य --

           मौनी अमावस्या की महत्ता असीम एवं अवर्णनीय है।इस दिन स्नान ; दान ; जप ; तप यज्ञ आदि करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।अतः इस शुभ अवसर का लाभ अवश्य उठाना चाहिए।

1 comment:

  1. धन्य है भारतीय संस्कृति का सूक्ष्म अध्ययन

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