निक्षुभार्क-सप्तमी-व्रत माघ मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी को किया जाता है।इसमे देवी निक्षुभा एवं अर्क का पूजन किया जाता है।इसलिए निक्षुभार्क-सप्तमी कहा जाता है।
कथा --
इस व्रत का वर्णन सुमन्तु मुनि ने महाराज शतानीक से किया था।
विधि ---
इस व्रत को अधिकाँशतः महिलायें करती हैं।व्रती प्रातः स्नानादि से निवृत्त होकर संकल्प पूर्वक देवी निक्षुभा एवं अर्कदेव ( सूर्यदेव ) का पूजन करे।समस्त भोगों का त्यागकर दिन भर उपवास करे।इस प्रकार एक वर्ष तक प्रत्येक सप्तमी को व्रत करे।वर्षान्त मे ताम्रपात्र मे निक्षुभार्क की सुवर्णमयी प्रतिमा का विधिवत् पूजन करे और स्त्रियों को भोजन कराये।
माहात्म्य --
इस व्रत को करने से सभी प्रकार के पाप ताप और भय नष्ट हो जाते हैं।व्रती सुखमय जीवन व्यतीत करके मृत्यु के बाद विमान द्वारा सूर्यलोक को जाता है।वहाँ सहस्रों वर्ष तक सानन्द निवास करता है।
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