Tuesday, 19 January 2016

सोमवती अमावस्या

           किसी भी मास की अमावस्या जब सोमवार को पड़ती है ; तब उसे सोमवती अमावस्या कहते हैं।भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर से इसकी महत्ता बताते हुए उन्हें इसका लाभ उठाने का परामर्श दिया था।परन्तु दीर्घकाल तक प्रतीक्षा करने के बाद भी उन्हें सोमवती अमावस्या नहीं मिल सकी।इस समय प्रायः प्रतिवर्ष एकादि सोमवती अमावस्या पड़ जाती है।

कथा --

           प्राचीन काल मे कान्तीपुर - नरेश के पुरोहित देवस्वामी की गुणवती नामक एक कन्या थी।उसकी जन्मपत्रिका मे वैधव्ययोग विद्यमान था ; जिसके प्रभाव से विवाह मे सप्तपदी के अवसर पर उसके पति की मृत्यु हो जायेगी।इससे गुणवती की माता बहुत दुःखी एवं चिन्तित रहती थी।एक बार उसे एक ब्राह्मण द्वारा सिंहलद्वीप-निवासिनी सोमा नामक एक रजकी के विषय मे जानकारी मिली ; जिसने सोमवती अमावस्या के व्रत एवं पूजन से वैधव्य-योग-नाशक सामर्थ्य प्राप्त कर ली थी।
           कुछ दिनों बाद गुणवती के विवाह का अवसर आया।उसकी माता ने अपने कनिष्ठ पुत्र द्वारा सोमा रजकी को अपने घर बुलवाया।सप्तपदी के समय गुणवती के पति रुद्रशर्मा की मृत्यु हो गयी।सोमा ने सोमवती अमावस्या मे अश्वत्थपूजन आदि द्वारा अर्जित पुण्यफल का दानकर रुद्रशर्मा को जीवित कर दिया।साथ ही गुणवती को अखण्ड सौभाग्यवती होने का आशीष प्रदान कर अपने घर चली गयी।

विधि ---

1-- सोमवती अमावस्या को संगम अथवा गंगा आदि पवित्र नदियों मे स्नान करना चाहिए।
2-- इस दिन स्त्रियों को अश्वत्थवृक्ष ( पीपल ) मे भगवान विष्णु की विधिवत् पूजा करके 108 फल द्रव्यादि सहित परिक्रमा करनी चाहिए।परिक्रमा करते समय अश्वत्थवृक्ष मे कच्चा सूत लपेटते रहना चाहिए --
          अश्वत्थमूले प्रणिधाय विष्णुं
                विधाय सम्यग् विविधोपचारैः।
          प्रदक्षिणाभीष्टफलादिद्रव्यैः
                स्त्रीभिर्विधेया पतिसौख्य-वृद्ध्यै।।

           पीपल के वृक्ष मे सभी देवताओं का वास होता है।अतः इस प्रकार एक साथ सभी देवताओं का पूजन हो जाता है।
3-- इस दिन कुछ लोग धान पान और हल्दी  को मिलाकर तुलसी के पौधे को समर्पित करते हैं।
4-- अमावस्या के स्वामी पितर हैं।अतः इस दिन श्राद्ध करने से पितर अत्यधिक प्रसन्न होते हैं।
5-- इस दिन स्नान; जप ; तप ; व्रत ; दान आदि का बहुत अधिक महत्व है।
6-- सोमवती अमावस्या को रुद्राभिषेक का भी पर्याप्त महत्व है।
7-- जन्मपत्रिका मे उपलब्ध पितृदोष एवं कालसर्प दोष की शान्ति के लिए सोमवती अमावस्या बहुत उपयुक्त मानी जाती है।

माहात्म्य ---

           सोमवती अमावस्या का महत्व असीम एवं अवर्णनीय है।इस दिन पवित्र नदियों मे स्नान ; दान ; जप ; तप ; व्रत ; उपवास ; पूजा ; पाठ आदि से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।अश्वत्थवृक्ष मे भगवान की पूजा एवं परिक्रमा करने से स्त्रियों को अखण्ड पतिसौख्य की प्राप्ति होती है।

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