शान्ताचतुर्थी-व्रत माघ शुक्ल चतुर्थी को किया जाता है।इस व्रत को करने से मनुष्य को नित्य शान्ति की प्राप्ति होती है।इसलिए इसे शान्ताचतुर्थी कहते हैं।
कथा --
इस व्रत का वर्णन सुमन्तुमुनि ने महाराजा शतानीक से किया था।
विधि ---
व्रती प्रातः स्नानादि से निवृत्त होकर संकल्प पूर्वक गणेश जी का गन्धाक्षत आदि से विधिवत् पूजन कर हवन करे।उसके बाद ब्राह्मणों को लवण गुड़ शाक तथा गुड़ के पूए का दान करे।महिला व्रतियों को चाहिए कि वे अपने सास-ससुर एवं पूज्य जनों को पूजन पूर्वक भोजन करायें।
माहात्म्य ---
इस व्रत को करने से गणेश जी की कृपा से अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।व्रती की समस्त विघ्न-बाधायें दूर हो जाती हैं।
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