Tuesday, 2 February 2016

आमलकी एकादशी व्रत

           आमलकी एकादशी व्रत फाल्गुन शुक्ल पक्ष एकादशी को किया जाता है।इसमे आमलकी वृक्ष ( आँवला ) के पूजन की प्रधानता होने के कारण इसे आमलकी एकादशी कहा जाता है।
कथा --
-------    एक बार भगवान विष्णु के थूक का एक विन्दु पृथ्वी पर गिर गया।उसी से आमलकी वृक्ष उत्पन्न हो गया।उसके बाद उन्होने ब्रह्मा जी को उत्पन्न कर उन्हें सृष्टि-रचना करने का आदेश दिया।ब्रह्मा जी ने देव ; दानव आदि को उत्पन्न किया।उन लोगों ने जब आमलकी वृक्ष को देखा तो उन्हें बहुत आश्चर्य हुआ क्योंकि इसके पूर्व उन्होंने इस वृक्ष को कभी नहीं देखा था।उसी समय आकाशवाणी हुई कि यह आमलकी वृक्ष है।इसका नाम स्मरण करने से गोदान का फल मिलता है।स्पर्श करने से दोगुना तथा फल भक्षण करने से तीन गुना फल मिलता है।इसमे सभी देवताओं का वास है।इसी वृक्ष के नाम पर आमलकी एकादशी व्रत किया जाता है।
विधि --
-------    व्रती प्रातः स्नानादि करके व्रत का संकल्प ले।फिर परशुराम की स्वर्ण-प्रतिमा बनवाकर घर पर उसका पूजन करे।उसके बाद सब सामग्री लेकर आँवले के पास जाये।कलश पर उस प्रतिमा को स्थापित कर उसका तथा आमलकी वृक्ष का विधिवत् पूजन करे।वहीं रात्रि-जागरण कर दूसरे दिन पारणा करे।
माहात्म्य --
-----------    इस व्रत को करने से मनुष्य को सभी तीर्थों के सेवन का फल मिल जाता है।इतना ही नहीं बल्कि सभी प्रकार के दान और यज्ञों का भी पुण्यफल प्राप्त हो जाता है।

No comments:

Post a Comment