काम-त्रयोदशी-व्रत चैत्र शुक्ल त्रयोदशी को किया जाता है।कामपूजन की प्रधानता होने के कारण इसे काम-त्रयोदशी कहा जाता है।
कथा --
इस व्रत का वर्णन अग्निपुराण मे स्वयं अग्निदेव ने किया है।
विधि ---
व्रती प्रातः स्नानादि करके कज्जल और सिन्दूर से अशोक-वृक्ष की रचना करे।उसके नीचे रति एवं कामदेव की रचना करके उनका विधिवत् पूजन करे।इसी प्रकार एक वर्ष तक कामपूजन करना चाहिए।
माहात्म्य ----
इस व्रत को करने से मनुष्य की समस्त कामनायें पूर्ण हो जाती हैं।
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