अशोकाष्टमी व्रत चैत्र शुक्ल पक्ष अष्टमी को किया जाता है।यदि उस दिन पुनर्वसु नक्षत्र हो तो अधिक शुभ होता है।इसमे अशोक-कलिका-प्राशन की प्रधानता होने के कारण इसे अशोकाष्टमी कहते हैं।
कथा --
इस व्रत का वर्णन गरुड़ पुराण मे भगवान ब्रह्मा जी के मुखारविन्द से हुआ है।इसलिए इसकी विशिष्ठ महत्ता है।
विधि ---
व्रत करने के इच्छुक व्यक्ति को चाहिए कि प्रातः स्नानिदि से निवृत्त होकर अशोक-वृक्ष का पूजन करे।फिर उसकी मञ्जरी की आठ कलिकायें लेकर निम्नलिखित मंत्र से पान करे --
त्वामशोक हराभीष्ट मधुमाससमुद्भव।
पिबामि शोकसन्तप्तो मामशोकं सदा कुरु।।
माहात्म्य ---
इस व्रत को करने से मनुष्य सदैव शोकमुक्त रहता है।
Monday, 29 February 2016
अशोकाष्टमी व्रत
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