कामदा एकादशी व्रत चैत्र शुक्ल पक्ष एकादशी को किया जाता है।
कथा ---
प्राचीन काल मे नागपुर नगर मे पुण्डरीक नामक एक नाग राज्य करता था।वहीं ललित नामक एक गन्धर्व अपनी पत्नी ललिता के साथ निवास करता था।इन दोनो मे अतिशय प्रीति थी।वे एक क्षण के लिए भी अलग नहीं होते थे।एक बार नागराज ने संगीत का आयोजन किया।उसमे ललित का गान हो रहा था।वहाँ ललिता नहीं थी।अचानक ललित को ललिता का स्मरण हो गया ; जिससे उसका गान अवरुद्ध होने लगा।इसे देखकर नागराज को क्रोध आ गया।उसने ललित को राक्षस होने का शाप दे दिया।ललित उसी क्षण राक्षस हो गया।
इसके बाद ललित वन की ओर चला गया।उसके पीछे उसकी पत्नी भी चल पड़ी।वहाँ एक आश्रम दिखाई पड़ा।ललिता उस आश्रम मे गयी और वहाँ विराजमान मुनि को अपनी व्यथा सुनाई।मुनि ने कहा कि आज कामदा एकादशी है।तुम इसका व्रत करो और इसका पुण्यफल अपने पति को दे दो।इससे उसका उद्धार हो जायेगा।ललिता ने वहीं रहकर व्रत किया और दूसरे दिन मुनि के समक्ष ही व्रत का पुण्य अपने पति को प्रदान कर दिया।इस व्रत के प्रभाव से ललित का राक्षसत्व भाव दूर हो गया और उसे पुनः गन्धर्वत्व की प्राप्ति हो गयी।
विधि --
व्रती प्रातः स्नानादि से निवृत्त होकर संकल्प पूर्वक भगवान श्रीहरि का पूजन करे।दिन भर उपवास करे और दूसरे दिन विधिवत् पारणा करे।
माहात्म्य ---
इस व्रत के प्रभाव से मनुष्य के ब्रह्महत्या सदृश पापों एवं पिशाचत्व-राक्षसत्व आदि दोषों का विनाश हो जाता है।यह एकादशी पाप रूपी ईंधन के लिए दावानल सदृश मानी गयी है।
Saturday, 27 February 2016
कामदा-एकादशी-व्रत
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