सन्तानाष्टमी-व्रत चैत्र कृष्ण अष्टमी को किया जाता है।यह व्रत सन्तान निमित्तक होने के कारण सन्तानाष्टमी व्रत कहलाता है।
कथा --
----- इस व्रत का वर्णन अग्निपुराण मे भगवान अग्निदेव ने किया था।
विधि --
------ व्रती प्रातः स्नानादि से निवृत्त होकर संकल्प पूर्वक गन्धाक्षत आदि से भगवान श्री कृष्ण का पूजन करके मध्याह्न काल मे सात्विक आहार का नैवेद्य समर्पित करे।इस प्रकार इस व्रत को एक वर्ष तक करना चाहिए।
माहात्म्य --
------------ एक वर्ष तक इस व्रत को करने से मनुष्य को सन्तान अर्थ की प्राप्ति अवश्य होती है।
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