बारह महीनों के काल विशेष को संवत्सर कहा जाता है।इसका आरम्भ चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से माना जाता है।इसलिए संवत्सर-पूजन का पर्व इसी प्रतिपदा को मनाया जाता है।
विधि ---
------- संवत्सर-पूजन करने वाले व्यक्ति को चाहिए कि वह प्रातः स्नानादि से निवृत्त होकर किसी चौकी पर श्वेत वस्त्र बिछाकर उस पर केसर से रँगे हुए चावलों से अष्टदल कमल बनाये।उस पर स्वर्ण निर्मित ब्रह्मा जी की प्रतिमा स्थापित कर उनका विधिवत् पूजन करे।उसके बाद सभी देवी ; देवताओं ; यक्ष ; राक्षस ; ऋषि ; मुनि ; समय-विभाग आदि का विधिवत् पूजन एवं प्रार्थना करे।ब्राह्मण-भोजन के बाद उस संवत्सर के राजा ; मंत्री आदि के फल का श्रवण करे।
माहात्म्य ---
----------- संवत्सर-पूजन करने से सभी देवी ; देवता प्रसन्न हो जाते हैं।इससे वर्ष भर संसार मे सुख-शान्ति बनी रहती है।
Wednesday, 10 February 2016
संवत्सर-पूजन
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