Friday, 26 February 2016

श्री रामनवमी व्रत

           श्री राम नवमी व्रत चैत्र मास के शुक्ल पक्ष नवमी को किया जाता है।
कथा --
          प्राचीन काल मे स्वायम्भुव मनु तथा उनकी पत्नी शतरूपा ने नैमिशारण्य मे घोर तप किया।भगवान नारायण जी प्रकट हुए।दोनो ने उनसे पुत्र रूप मे प्रकट होने की प्रार्थना की।भगवान नारायण ने स्वीकार कर लिया।बाद मे यही मनु और शतरूपा अयोध्या मे राजा दशरथ और कौसल्या के रूप मे प्रकट हुए।उन्हीं के पुत्र रूप मे भगवान श्री राम अवतरित हुए।
           वाल्मीकीय रामायण के अनुसार पुत्रेष्टि यज्ञ के बारहवें मास मे चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को पुनर्वसु नक्षत्र एवं कर्क लग्न मे कौसल्या देवी ने दिव्य लक्षणों से युक्त ; सर्वलोकवन्दित जगदीश्वर श्री राम को जन्म दिया।उस समय सूर्य ; मंगल ; बृहस्पति ; शुक्र ; शनि - ये पाँच ग्रह अपनी उच्च राशि मे विद्यमान थे।साथ ही लग्न मे चन्द्रमा और बृहस्पति विराजमान थे।
विधि ---
           व्रती प्रातः स्नानादि से निवृत्त होकर संकल्प पूर्वक किसी चौकी आदि पर भगवान श्री राम की प्रतिमा स्थापित करे।फिर गन्धाक्षत आदि से उनका विधिवत् पूजन करे।श्रीरामचरित मानस आदि का पाठ करते हुए उपवास करे।दूसरे दिन विधिवत् पारणा करे।
माहात्म्य ---
           इस व्रत से भगवान श्री राम की अनुकम्पा प्राप्त होती है।इससे मनुष्य की समस्त कामनायें पूर्ण हो जाती हैं।

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